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शुद्ध भाव से खेलें होली

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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रंग बरसे (होली विशेष)…

होली की हर्षित बेला पर,
आओ मिलकर जश्न मनाएं
नीरस और जड़ जीवन को,
नैतिक मूल्यों से सजाएं।

छल-कपट ना रहे हृदय में,
सबको अपना मीत बनाएं
दया के भाव रखें हृदय में,
ना किसी का दिल दुखाएं।

भांति-भांति के रंग लगाएं,
घर-घर में खुशहाली लाएं
ऊँच-नीच का भेद भुलाकर,
सबको अपने गले लगाएं।

संस्कार और सद्भावों का,
हर युवा में अलख जगाएं,
ईर्ष्या-द्वेष ना रहे जीवन में,
भाई-चारे का पाठ पढ़ाएं।

दया-धर्म की सदा नींव है,
जीव हत्या पर रोक लगाएं।
शुद्ध भाव से खेलें होली,
माँस-मदिरा घर नहीं आएं॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।