धर्मेन्द्र शर्मा उपाध्याय
सिरमौर (हिमाचल प्रदेश)
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आतंक, विनाश, ज़िन्दगी (पहलगाम हमला विशेष)…
सुन ये आतंकिस्तान के मालिक,
सोए हुए शेर को जगा दिया तूने
धर्म के अमन-शांति को जलाकर,
मानवता को मिटा दिया तूने।
पहलगाम में हमला करके,
हम सबको रुला दिया तूने।
अरे! कायर आतंकवादी शैतान,
मासूम लोगों को धर्म पूछकर मार दिया तूने ?
आज अपनी ही करनी के लिए,
चाहे तो अपने अल्लाह को बुला ले
अब तेरी खैर नहीं क्योंकि,
सोए हुए शेर को जगा दिया तूने।
अभी तो ‘सिंदूर’ का ट्रेलर मिला ,
आगे-आगे देखो होता है क्या
मत कहना अब कभी यह कि,
रियल पिक्चर को बना दिया तूने।
विश्वासघात तो पहले भी करता था,
अब नजरों से भी गिरा दिया तूने
पर सुन ले ये आतंकिस्तान,
ये भूमि है सच्चे शहीद वीरों की।
जो अबला पर वार नहीं करते,
पहले भी गुलामी को हमने तोड़ा।
उस बलिदान को याद करा के,
क्यों सोए हुए शेर को जगा दिया तूने ??