कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
मुंगेर (बिहार)
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कान्हा सुनो लो पुकार, हम आए तेरे द्वार,
विनती करो स्वीकार, भव पार कीजिए।
दे दो आशीष अपार, हो प्यारा यह संसार,
तुम हो प्राण आधार, हमें ज्ञान दीजिए।
लेकर पूजा की थाल, मैं पूजा करूँ गोपाल,
मैय्या यशोदा के लाल, प्रभु ध्यान दीजिए।
तुझमें तेज अपार, तुम सृष्टि के आधार,
मैं हूँ निपट गवार, शरण में लीजिए॥
सृष्टि को तूने रचाया, तुझसे ही जन्म पाया,
फिर अंत में समाया, श्री उद्धार कीजिए।
घट-घट के हो वासी, क्या मथुरा क्या है काशी,
अँखियाँ मेरी है प्यासी, दर्शन तो दीजिए।
नंदबाबा के दुलारे, जन-जन के हो प्यारे,
बन सबके सहारे, उपकार कीजिए।
जो राधा तुझे बुलाए, तुम दौड़े-दौड़े आए,
हम नैन हैं बिछाए, दर्शन तो दीजिए॥