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संविधान के रक्षक

संजय वासनिक ‘वासु’, मुम्बई (महाराष्ट्र)

भारत के संविधान पर गर्व करने वालों…
क्यों खुद का ढोल बजाते हो ?
ये ढोंग किसलिए किए जाते हो…?
क्या कभी खुद की बुनियाद को परखे हो, 
स्वयं को भारतीय कहलाते हो…
और संविधान के रक्षक कहते हो,
खुद के लिये उपाधियाँ बटोरते हो… 
बडी आसानी से खुद का 
नामकरण भी कर लेते हो…।

कोई आम्बेडकर राइट कहलाता है,
तो कोई खुद को आम्बेडकरवादी
किसी का दावा ये है कि वे ही हैं,
इस महान देश के मूलनिवासी…
हर किसी ने अपने हिसाब से 
एक लेबल बनवाया है…
बहुजन, दलित, आम्बेडक राईट,
और बुद्धिस्ट का लेबल बड़ी सुविधा से,
खुद ही खुद को चिपकाया है…
गर्व करते हैं देश के संविधान पर,
यह ढोंग किस लिए किए जाते हैं…?

बाबा साहब के मूल विचारों को,
लेकर कोई काम नहीं करना है…
यही फितरत हो गई हमारी,
जो सच में काम करना चाहे,
उन्हें भी उंगलियों पर नचाना है…
कितने लोग हैं ऐसे सच्चे,
जो बाबा साहब के विचारों को…
करके संचारित नया आयाम देते हैं,
सहारा बन कर एक-दूजे का…
संघठन को बढ़ाते हैं…।

हमें दिया था बाबा साहब ने,
नया जीवन जीने का रास्ता
‘बुद्धिज्म’ जो कहलाता है…
क्या कोई बताएगा कि कितने,
भारतीयों ने बाबा साहब के
विचारों को अपनाया है…
या बुद्ध की शरण में गए हैं,
कोई लेना-देना नहीं है इनका,
और न ही कोई ‘बुद्धिज्म’ से लगाव है…
देश-परदेश घूम-घूमकर 
खुद को ‘बुद्धिस्ट’ कहलाते हैं,
बुद्ध के नाम पर भीख मांगकर
खुद के देश में सांप्रदायिकता फैलाते हैं…
बड़ी-बड़ी पार्टी के राजनेता भी,
धमकियाँ देते फिरते हैं…
राह तक रहे हैं हम उस दिन की,
कब वे ‘बुद्धिज्म’ को अपनाते हैं…?

मूल निवासी और ‘बहुजनवाद’ का
ज्ञान पिलाने वाले ज्ञानी भी…
बाबा साहब के नाम से
अपनी रोटी सेक रहे हैं,
सामाजिक संघटन का नाम देकर…
‘बुद्धिज्म’ को भुला रहे हैं
लानत है ऐसे तमाम संगठनों पर,
जो बाबा साहब के आदर्शों का
ढोंग रचाए फिरते हैं…
किंतु विचारों पर उनके चलना,
न चलना चाहते, और न ही जानते हैं…
ऐसे बगुला भगत लोगों ने ही,
बाबा साहब के विचारों का 
हनन किया है, या खून किया है…
अन्याय, अत्याचार, आरक्षण, 
बलात्कार और न्यायालय,
सरकारी नौकरियों के जाल में…
बाबा साहब के नाम को फँसाया है…।

जागो, उठो! ये समता के सैनिकों,
नौजवानों अब तुम कुछ सीख लो…
ढोंगी, पांखडी, राजनेता और असामाजिक
संगठनों की सच्चाई को जान लो,
करो फैसला अब तुम, नहीं किसी के
बरगलाने में जाना है, 
बाबा साहब के विचारों और 
‘बुद्धिज्म’ को आगे बढ़ाना है…
तब तुम सच्चे पहले और अंतिम,
भारतीय कहलाओगे।
और तभी गर्व से, संविधान पर हक अपना जताओगे…, तब सच्चे भारतीय कहलाओगे…॥