ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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जीवन में संस्कारों का,
बड़ा महत्व होता है
और संस्कारों में माता-पिता का,
बड़ा महत्व होता है।
बच्चों की चाल-ढाल से,
पता चल जाता है व्यवहार का
किस कदर संस्कार मिले हैं,
अपने माता-पिता से।
माता-पिता गरीब ही क्यों न हो,
कोई फर्क नहीं पड़ता है
अगर संस्कार गरीब हो तो,
बहुत फर्क पड़ता है परवरिश का।
बड़ा महत्व होता है परवरिश का,
बच्चों का मन कोरा कागज होता है
माता-पिता के द्वारा ही उनमें,
संस्कार लिखा जाता है।
पैसों से संस्कार खरीदे नहीं जाते,
परवरिश से दिल में भरे जाते हैं।
अगर पैसों से संस्कार मिलते,
तो गरीबों की कोई कीमत नहीं होती॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।