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संस्कृति की आन-बान ‘हिन्दी’

डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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भक्ति, संस्कृति, और समृद्धि की प्रतीक ‘हिन्दी’ (हिन्दी दिवस विशेष)….

हिंदी की,
सहज है बोली
कठिन है,
थोड़ा व्याकरण।

लिखते ही समझ में आए,
उत्कृष्ट सृजन कैसे बन जाए
हिंदी साहित्य के पठन-पाठन से,
जग जाती हैं चेतना हमारी।

हिंदी भाषा सलिला जैसी,
कल कल झरने सी बहती है
हिंदी में बसी है हमारी संस्कृति,
इतिहास और वर्तमान की।

हिन्दी भाषा लगती मीठी,
लहज़ा इसका विस्तृत है
जननी इसकी संस्कृत है,
बोलियाँ इसकी अनेक हैं।

हिन्दी की उपभाषाएं इतनी,
अवधी, भोजपुरी, छत्तीसगढ़ी
ब्रजभाषा, बिहारी, कन्नौजी, बुंदेली,
बघेली, हड़ौती, खड़ी बोली।

माॅडियाली, कुमाऊँनी तथा गढ़वाली,
पहाड़ी इलाकों में बोली जाती
हरयाणवी
राजस्थानी, मालवी, नागपुरी,
खोरठा, पंचपरगनिया, मगही, मेवाती।

हिन्दी की ही सब बहनें हैं,
विभिन्न शैलियाँ प्रचलित इसकी
बोल-चाल में लगते थोड़े अलग,
फिर भी हिन्दी एक है।

हिन्दी के प्रेमी बहुतेरे,
पढ़ते-लिखते नियमित हिन्दी में
एक से बढ़कर एक साहित्यकार हैं,
किस-किसका मैं नाम गिनाऊँ ?

हिन्दी साहित्य के सारे सर्वश्रेष्ठ हैं,
भारतेंदु, कबीर, तुलसीदास सूरदास, कालिदास, प्रेमचंद, रामधारी सिंह ‘दिनकर’,
सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी,
महादेवी वर्मा, अमृता प्रीतम, भीष्म साहनी।

हरिवंश राय बच्चन, मैथिलीशरण गुप्त,
जयशंकर प्रसाद, अटल बिहारी वाजपेयी
उत्कृष्ट सृजन और उत्तम रचनाकारों की,
कलम और वाणी से हिन्दी ओत- प्रोत है।

ज्ञान का विस्तृत स्रोत है,
हिंद की धरोहर हिन्दी।
हर भारतीय की शान और पहचान है,
हिन्दी हमारी संस्कृति की आन-बान है॥

परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।