हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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अब संवेदनाएं शून्य और उनका मूल्य धराशाई हो रहा है,
समाज की सोच व नजरिए को बदलना होगा
फिर हाथों में तलवार लेकर बेटियों को निकलना ही होगा,
महिषासुर रुपी इन दानव व राक्षसों का संहार करना होगा।
कब तक इन बेटियों की अस्मिता से खेलेंगे यह भेड़िए,
तुझे शक्ति स्वरूपा बन इन सबसे लडना ही होगा
माँ काली की तरह इन नरमुंडों का वध करना ही होगा,
महिषासुर रुपी इन दानव व राक्षसों का संहार करना होगा…।
नारी तुम अकेली नहीं हो इस दुनिया में,
तेरे साथ हम आवाज उठाएंगे
तू लड़ती रहे झांसी की रानी की तरह, हम सब तेरे साथ आगे आएंगे
महिषासुर रुपी इन दानव व राक्षसों का संहार करना होगा…।
यहाँ दरिंदों को सबक़ सिखाना ही होगा,
सज़ा का ख़ौफ दरिंदों को बताना ही होगा
इन दुष्कर्मियों को सख्त सजा ही नहीं, इन्हें फाँसी पर पहुँचाना होगा,
महिषासुर रुपी इन दानव व राक्षसों का संहार करना होगा…॥