मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’
महासमुंद(छत्तीसगढ़)
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सच का वृक्ष,
सूखने लगा आज-
संभल जाओl
अपनों बीच,
कितने धोखेबाज-
ध्यान लगाओl
जरूरत है,
झूठ का पूर्णनाश-
आगे तो आओl
सच का बीज,
रख अपने हाथ-
उगाते जाओl