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सच के दर्पण में…

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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दृष्टि कब बदलोगे ?
जमाना भी बदल गया
झूठों के सामने क्या देखते हो ?
सच के दर्पण में भविष्य है।

चारों ओर अंधियारा छाया,
लोभ-मोह-लालच में इंसान घिरा
उसे अब तो समझाओ,
सच के दर्पण में भविष्य है।

ये वह आइना है, जो झूठ नहीं बोलता,
जो देखता है वही दिखता है
फिर क्यों पीठ पर खंजर भौंकता है ?
सच के दर्पण में भविष्य है।

सुंदर व सौम्य जब आप हो,
तो फिर क्यों बाहरी सज्जा में उसे ढूंढते हो ?
नकारात्मकता का साथ छोड़कर,
सच के दर्पण में अपना भविष्य देखो॥