अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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“बेटा शमिका, क्या तुम ‘गुड टच -बेड टच’ समझती हो ?
शमिका की मम्मी की सहेली पूजा बोली।
“हाँ आंटी, जानती हूँ।”
“बहुत अच्छी बात बेटा, जरा मुझे बताओ तो।”
“जी आंटी। और मम्मा आप भी देखो-जब कोई परिचित या अपरिचित व्यक्ति गाल, होंठ, कमर, सीने या ऐसी ही जगह पर टच करे और मना करने पर भी नहीं माने तथा अजीब-सा लगे तो यह हुआ बेड टच। ऐसे व्यक्ति से तुरंत दूर हो जाना चाहिए, साथ ही मदद के लिए शोर मचा दो।”
“वाह, शाबाश बेटा। और गुड टच!” -पूजा खुश होते हुए बोली।
“आंटी, जब कोई माथे पर, बाल पर, कंधे पर स्नेह से हाथ रखे और मन को प्रेम-ख़ुशी लगे तो, समझ जाइए।”
“क्या बात है गुड़िया रानी, शाबास। वाकई उन्नति, इसे तुमने सब बढ़िया सिखाया है। अब यह स्वयं सतर्क रहेगी और बाकी सहेलियों को भी जागरूक करेगी।”
बिटिया की होशियारी और जागरूकता से आज उन्नति की आँखों में सुरक्षा की छुअन थी।