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सपनों को बुन लो…

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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बीत रहा वक्त,
तुम अपने सपनों को बुन लो
अरे तुम रुको नहीं,
आगे बढ़ो तुम आकाश चुन लो।

ऊंची उड़ानों में बहुत साथी मिलते हैं,
सफर लम्बा हो तो दोस्त भी बन जाया करते हैं
अरे परिंदों की उड़ान में,
तुम उड़ कर तो देखो
मंजिल तुम्हें भी मिल जाएगी।

ज़िन्दगी का यह सफर जारी रहेगा,
तो साथी मिल ही जाएंगे
तुम अपने हौंसलों को बुलंद रखो,
तो जीवन में हर मुश्किल दूर हो जाएगी।
बीत रहा वक्त,
तुम अपने सपनों को बुन लो…॥