दिल्ली
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर एवं क्रूर आतंकी हमले से सारा देश गम एवं गुस्से में दिख रहा है, वहीं मोदी सरकार इस बार आर-पार के इरादे में दिख रही है। भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ५ बड़े और कड़े फैसले लेते हुए पाकिस्तान पर शिकंजा कसा है, जिससे वह डरा है, सहमा है, घबराया है। इन पंच शिकंजों में १९६० की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, राजनयिक मिशन की संख्या घटाई जाएगी, पाकिस्तानी सैन्य राजनयिकों को १ हफ्ते में भारत छोड़ना होगा, पाकिस्तानियों के लिए सार्क वीज़ा रद्द कर दिया गया है और अटारी बॉर्डर को भी तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है। ये कदम जहां आतंकवाद के खिलाफ भारत की कड़ी नीति को दर्शाते हैं, वहीं पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाने का एक राजनयिक हमला है, जबकि भीतर-ही-भीतर किसी बड़ी कार्रवाई से इंकार नहीं किया जा सकता। सीमा पार आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान पर दबाव बनाने और भारत की सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में मोदी सरकार से अभी अधिक सख्त कार्रवाई की अपेक्षा है और आशा की जा रही है, कि सरकार जनता की अपेक्षाओं से भी दो कदम आगे इस बार बदला लेगी। इस बार की तांडवी टंकार पाकिस्तान की न केवल कमर तोड़ देगी, बल्कि उसके नापाक मंसूबों को हमेशा के लिए नेस्तनाबूद कर देगी। पाकिस्तान ने अब तक भारत की शांति एवं सहयोग भावना को देखा है, लेकिन अब हिंसा के लिए हिंसा की खनकार देखेगा। निर्दोषों की हत्या करने वालों, विश्वासघात का मार्ग अपनाने वालों एवं निहत्थों पर कहर बरपाने वालों को अब पता लगेगा कि धर्म एवं शांतिवादियों की ताकत क्या होती है।
पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा के एक संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट ने निर्दोष पर्यटकों पर किए इस कायरतापूर्ण हमले की जिम्मेदारी ली है। इस दुखद घटना ने वर्ष २००८ में दुस्साहसपूर्ण ढंग से मुम्बई और भारत को हिलाकर रख देने वाले लश्कर-ए-तैयबा द्वारा रचे गए नरसंहार की याद दिला दी है। यह महज संयोग नहीं कि यह हमला २६/११ के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण और पाक सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के भारत विरोधी बयान के बाद हुआ। यह हमला पाकिस्तान की अब तक की सबसे बड़ी भूल, अमानवीयता एवं पाशविकता का घिनौना कृत्य बना है। मुनीर ने कश्मीर को अपने देश की ‘गले की नस’ बताया लेकिन यही नस अब पाकिस्तान का सर्वनाश करेगी। दाने-दाने को तरसता पाकिस्तान अब त्राहि-त्राहि करते हुए तबाही की कगार पर पहुंचेगा। एक ओर जहां बलूच विद्रोह ने मुनीर व सेना की नींद उड़ा रखी है, अब भारत उसकी नींद ही नहीं, सुख-चैन भी छीन लेगा। गैर मुस्लिमों को निशाना बनाना और वह भी अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी.वेंस की भारत यात्रा के दौरान-यह स्पष्ट करता है कि आतंकवादियों व उनके आकाओं ने भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार को सीधे-सीधे ललकारा है। मोदी सरकार को सस्ते में लेने की भूल के परिणाम पाकिस्तान पहले भी भुगत चुका है, उरी (२०१६) और पुलवामा (२०१९) की तरह पहलगाम हत्याकांड में बहा निर्दोषों का रक्त व्यर्थ नहीं जाएगा। जिस तरह श्रीकृष्ण को आसुरी शक्तियों के खिलाफ महाभारत रचना पड़ा, उसी तरह नरेंद्र मोदी पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ कोई बड़े युद्ध की संरचना करके हमेशा के लिए आतंकवाद का सर्वनाश करें।
पहलगाम हत्याकांड के बाद घाटी में ३५ साल बाद यह घटना कश्मीरियों की रोजी-रोटी पर कुठाराघात है। आतंकी संगठन के इस हमले का मकसद पर्यटकों में खौफ पैदा करना और घाटी में सामान्य स्थिति की वापसी को रोकना था।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद ३७० हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में काफी बदलाव आया था।आतंकवाद लगातार सिमट रहा था, शांति का उजाला हो रहा था।बाजार गुलजार हो उठेे थे, बागों में ट्यूलिप के फूल खिल उठे थे, जो देश एवं दुनिया के असंख्य पर्यटकों को खींच रहे थे। उम्मीदें बंध गई थीं कि एक न एक दिन आतंकवाद मुक्त जम्मू-कश्मीर नई सुबह देखेगा लेकिन बढ़ते पर्यटक और मजबूत होती अर्थव्यवस्था पाक को रास नहीं आई। जम्मू-कश्मीर में शांति, सौहार्द और विकास पाकिस्तान में बैठे आतंक के आकाओं को नागवार गुजर रहा था। इसलिए आतंकवादी संगठनों ने मिलकर ऐसी साजिश रच डाली, जिसने उनके धर्म को धुंधलाने एवं शर्मसार करने के साथ पाकिस्तानी इरादों को भी बेनकाब कर दिया।
पाकिस्तान को जवाब देने की तैयारी व्यापक स्तर पर हो रही है, लेकिन प्रश्न यह है कि क्या भारत ऐसी कोई बड़ी कार्रवाई कर सकेगा, जिससे वह सही रास्ते पर आ जाए ? पहलगाम का आतंकी हमला भारत की चेतना और उसकी अस्मिता पर किया गया भीषण हमला है। अब पाकिस्तान को उसी की भाषा में सबक सिखाने के लिए यदि युद्ध अपेक्षित हो तो उसे भी अंजाम देना चाहिए। इस पर भी मंथन हो कि आखिर पहलगाम में आतंकी इतनी आसानी से इतने लोगों को मारने में सफल कैसे हो गए ? ऐसे में भारत सरकार, सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों को और सतर्क रहना चाहिए था। जिस तरह से धर्म और नाम पूछकर आतंकवादियों ने हिन्दुओं का नरसंहार किया, उससे समूचा राष्ट्र आक्रोश में है। आज समूचा राष्ट्र प्रधानमंत्री के साथ खड़ा है। हर देशवासी चाहता है कि पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया जाए, जैसा इजराइल ने हमास को सिखाया है।