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सब कुछ जग में प्रभु से

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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प्रभु से धरती, प्रभु से अम्बर, हर जीवन भी प्रभु से।
फिर जीवन को सुख-दुख के, ॥

मानव के कर्मों से ही, फल सुख-दुख के मिलते हैं,
जीवन के कर्मों में फिर भी, क्यों अवगुण रहते हैं।
मिट सकते हैं दु:ख लेकिन, शुभ गुण सजते जब हमसे।
सब कुछ जग में प्रभु से,
प्रभु से धरती…॥

प्रभु जी मन के भावों को हर क्षण परखा करते हैं
फिर क्यों जीवन पाप-कपट के भावों को रखते हैं।
बच जाएं दुष्कर्मों से तो, कह पाएं सुख हमसे,
सब कुछ जग में प्रभु से।
प्रभु से धरती…॥

सोचो पुष्प हमेशा ही क्यों, पौध शिखर पे खिलते,
किसने देखा भला पवन को, जिससे जीवन पलते।
मानव को तो कितने ही गुण,‌ जग में मिलते प्रभु से,
सब कुछ जग में प्रभु से।
प्रभु से धरती…॥

परिचय–हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।