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सब हों कुशल

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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सब हों कुशल सब स्वस्थ हों,
सबका प्रभु कल्याण हो
सबका करो तुम हित प्रभु,
सिर पर तुम्हारा हाथ हो।

भूले हैं जो निज मार्ग को,
समझें वे अपने सत्व को
गरिमा है जिसमें देश की,
समझें वे इसके तत्व को।

क्यों हो रहा संहार इतना,
क्यों यहाँ संताप है ?
क्यों है नहीं कहीं शान्ति,
प्रभुवर क्यों मचा उत्पात है ?

बस मैं ही हूँ नहीं और कोई,
यह कहाँ से आ गया!
निज धर्म मर्यादा का पालन,
भूल क्यों नवयुग गया ?

उस देश के वासी हैं हम,
होता सभी की मान था
‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का,
होता यहाँ सम्मान था।

ईश्वर ये देना ज्ञान इनको,
ध्यान दें निज देश पर।
ध्यान दें निज वेश-भूषा,
और निज आहार पर॥