आचार्य संजय सिंह ‘चन्दन’
धनबाद (झारखंड )
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चुनाव आयोग ने घोषित किया,
बिहार विधान सभा का चुनाव
नवंबर में होगा २ चरणों में चुनाव,
बड़े दलों की कहें या चढ़ें सभी के भाव
घोटालों के बाद भी है जाति वादी घाव।
सत्ता को उखाड़ फेंकने का लगा बड़ा है दाँव,
जिनका तनिक भी भाव नहीं, दिखा रहे प्रभाव
‘पलटू चाचा’ अब स्थिर हैं, सोंच में दुष्प्रभाव,
यादें, चिंतन भूल गए सब फिर भी गद्दी चाव
‘सुशासन’ की बात हैं करते डूबती रहती नाव।
बिहार में बहार है आएँगे नीतिश कुमार,
नारा अब तक यही है जनता की हुँकार
बजी डुगडुगी चुनावी, देखें कैसे हो बेड़ा पार,
जनता पर नेता टपकाए मधुर मधु की धार
चुनाव में छिपकर फिर बँटेगी सोमरस रसदार।
संविधान में लोकतंत्र का खेल बड़ा मजेदार,
टिकट बंटवारे से जनप्रतिनिधि में हाहा-कार
जय-विजय की खातिर सबके खेमे में टंकार,
गायक, गायिकी को लड़ा रहे हैं कर उनका आभार,
जनता सबकी चाबी है सुनती है आत्मपुकार।
जिसने सत्ता की निविदा ली, अब लाएँगे जन सुराज,
जिसने सत्ता एकीकृत की, दिखाया सुशासन का राज
जिसने जनता को राष्ट्रीय बनाया, चारा-रेल घोटालेबाज,
भारत की जनता को निःशुल्क राशन बाँटा देश में उसको ताज,
सबसे बड़ी राष्ट्रीय काँग्रेस को देखो घुटने पर है आज।
समाजवाद अब कहाँ है ? भैया जातिवाद प्रचार,
विकास-विनाश का अंतर कैसे, दिखेंगे उच्च विचार।
जीवनभर की काली कमाई, अद्भुत दुष्ट संचार,
मत के अधिकार का अवसर यह बसंती बयार
अपनी सोच-समझ से गढ़ें लोकप्रिय बिहार सरकार॥
परिचय-सिंदरी (धनबाद, झारखंड) में १४ दिसम्बर १९६४ को जन्मे आचार्य संजय सिंह का वर्तमान बसेरा सबलपुर (धनबाद) और स्थाई बक्सर (बिहार) में है। लेखन में ‘चन्दन’ नाम से पहचान रखने वाले संजय सिंह को भोजपुरी, संस्कृत, हिन्दी, खोरठा, बांग्ला, बनारसी सहित अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान है। इनकी शिक्षा-बीएससी, एमबीए (पावर प्रबंधन), डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल) व नेशनल अप्रेंटिसशिप (इंस्ट्रूमेंटेशन डिसिप्लिन) है। अवकाश प्राप्त (महाप्रबंधक) होकर आप सामाजिक कार्यकर्ता, रक्तदाता हैं तो साहित्यिक गतिविधि में भी सक्रियता से राष्ट्रीय संस्थापक-सामाजिक साहित्यिक जागरुकता मंच मुंबई (पंजी.), संस्थापक-संरक्षक-तानराज संगीत विद्यापीठ (नोएडा) एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी.एन. क्लब (मुंबई) सहित अन्य संस्थाओं से बतौर पदाधिकारी जुड़ें हैं, साथ ही पत्रकारिता का वर्षों का अनुभव है। आपकी लेखन विधा-गीत, कविता, कहानी, लघु कथा व लेख है। बहुत-सी रचनाएँ पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हैं, साथ ही रचनाएँ ४ साझा संग्रह में हैं। ‘स्वर संग्राम’ (५१ कविताएँ) पुस्तक भी प्रकाशित है। सम्मान-पुरस्कार में आपको महात्मा बुद्ध सम्मान-२०२३, शब्द श्री सम्मान-२०२३, पर्यावरण रक्षक सम्मान-२०२३, श्रेष्ठ कवि सम्मान-२० २३ सहित अन्य सम्मान मिले हैं तो विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कई बार उपस्थिति, देश के नामचीन स्मृति शेष कवियों (मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र आदि) के जन्म स्थान जाकर उनकी पांडुलिपि अंश प्राप्त करना है। श्री सिंह की लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का उत्थान, राष्ट्रीय विचारों को जगाना, हिन्दी भाषा, राष्ट्र भाषा के साथ वास्तविक राजभाषा का दर्जा पाए, गरीबों की वेदना, संवेदना और अन्याय व भ्रष्टाचार पर प्रहार है। मुंशी प्रेमचंद, अटल बिहारी वाजपेयी, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, किशन चंदर और पं. दीनदयाल उपाध्याय को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाले संजय सिंह ‘चंदन’ के लिए प्रेरणापुंज- पूज्य पिता जी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गॉंधी, भगत सिंह, लोकनायक जय प्रकाश, बाला साहेब ठाकरे और डॉ. हेडगेवार हैं। आपकी विशेषज्ञता-साहित्य (काव्य), मंच संचालन और वक्ता की है। जीवन लक्ष्य-ईमानदारी, राष्ट्र भक्ति, अन्याय पर हर स्तर से प्रहार है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“अपने ही देश में पराई है हिन्दी, अंग्रेजी से अंतिम लड़ाई है हिन्दी, अंग्रेजी ने तलवे दबाई है हिन्दी, मेरे ही दिल की अंगड़ाई है हिन्दी।”