राधा गोयल
नई दिल्ली
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समस्याओं से मत घबराना,
उन्हें भुनाने में जुट जाना
उनमें भी कोई अवसर पाना,
एक नई उपलब्धि पाना।
दुनिया में जितनी खोज हुईं,
या जितनी खोज हो रही हैं
उन सबके ही मूल में कोई न कोई समस्या थी।
वैज्ञानिकों ने उन्हें चुनौती मान लिया, अवसर में बदला
और समाधान मिल गया।
इसीलिए तो कहते हैं कि…
“मुसीबतें तो आएंगी मगर डरने का नहीं।”
रावण जैसे पराक्रमी को श्रीराम ने हरा दिया,
नरकासुर, कंस और जरासंध को श्रीकृष्ण ने मार दिया
जिनके प्रताप के आगे देवताओं तक की औकात नहीं,
मानव का ले अवतार… दुष्ट यमलोक भेज… जग भीत ‘हरी।’
इसीलिए तो कहते हैं कि…
“मुसीबतें तो आएंगी, मगर डरने का नहीं।”
चुनौतियाँ ही जीवन को बेहद मजबूत बनाती हैं
काँटों पर चलने वालों को, ये ही भगवान बनाती हैं
अनुकूल परिस्थितियों में तो सारे प्राणी जी लेते हैं,
प्रतिकूल परिस्थितियों में ही जीवन की परीक्षा होती है।
जो इन पे विजय पा लेता है, पाता है जग में नाम वही।
इसीलिए तो कहते हैं कि…
“मुसीबतें तो आएंगी, मगर डरने का नहीं।”
घोर अमावस में चंदा भी दूर कहीं छिप जाता है,
वही चाँद हिम्मत करके, बादल को चीर के आता है
पूनम की रात में सबको अपनी किरणों से नहलाता है,
सूरज हर शाम को ढलता है, हर सुबह विभा बिखराता है
ये जीवन-चक्र जगत का है, पड़ता है कभी व्यवधान नहीं।
इसीलिए तो कहते हैं कि…
“मुसीबतें तो आएंगी, मगर डरने का नहीं।”
जो मुश्किल में डर जाते हैं, उनको ही अधिक डराती हैं,
डटकर जो करे सामना, उससे मुसीबतें घबराती हैं
तू मानव है… मानव के लिए होता मुश्किल कोई काम नहीं,
प्रतिकूल परिस्थितियों में हँसकर जिए, कमाता नाम वही
परिस्थिति युद्ध की होती जब, यह सोचना बहुत जरूरी है,
‘समय अभी अनुकूल’ है, या प्रतिकूल है, ज्ञान जरूरी है
क्योंकि समर भूमि में केवल एक जान नहीं जाती है,
लाखों लोगों का लहू बहाकर अपने संग ले जाती है।
शत्रु की ताकत का पूरा अंदाज लगाना पड़ता है,
अपनी सेना के हिसाब से फिर व्यूह बनाना पड़ता है
अपने विवेक और ताकत से जो निर्णय ले सकता है सही,
अनुकूल समय आने पर वह शत्रु पे टूट पड़ता है तभी
मातृभूमि की रक्षा हित, जो अपने प्राण गंवाते हैं,
हँस-हँसकर शीश कटा देते, मरने की चिंता नहीं कभी
प्रतिकूल परिस्थितियों में हँसकर जिए, कमाता नाम वही।
इसीलिए तो कहते हैं कि…,
“मुसीबतें तो आएंगी, मगर डरने का नहीं॥”