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समय साबित करता है योग्यता

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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संसार परिवर्तनशील है, और यहाँ पर कुछ भी स्थायी नहीं रहता है, पर समय की अनेक करवटें देख चुका मनुष्य इसे अक्सर भूल जाता है और बिना जाने एवं दूर का सोचे ऐसा-ऐसा कह और कर देता है, जो भविष्य में उसकी इज्जत, शोहरत, चाहत और रिश्तों की गरिमा को बिगाड़ देता है। इसके वावजूद भी इंसान हर क्षेत्र में समय से आगे अपने घमंड में ताकत बनाम होशियारी दिखाने से बाज नहीं आता है। वहीं, सच्चा और अच्छा व्यक्ति उस वक़्त की प्रतीक्षा करता है, जो उसे सच्चा साबित करे। ऐसा ही समय ईश्वर ने विनेश फोगाट के लिए बचाकर रखा था। बीते दिनों खेल की नीति से लाभ की बजाए खेल राजनीति का शिकार बनी विनेश ने पेरिस ओलम्पिक में इस बार वह कर दिखाया, जिसकी सपने में भी उम्मीद नहीं की जा सकती है। ओलम्पिक में जाना और पदक जीतना हर खिलाड़ी का स्वर्णिम सपना होता है, एवं इसी से विनेश जैसे हर योद्धा की काबिलियत सबके सामने आती है। विनेश फोगाट ने पूरे विश्व को चौंकाते हुए पूरे धैर्य एवं ईमानदार परिश्रम के साथ सबसे पहले दुनिया की शीर्षतम उस पहलवान को कुश्ती के खेल में पराजित किया, जो पिछले ओलम्पिक की स्वर्ण पदक विजेता थी। विनेश का जापान की विश्व विजेता पहलवान लुई सुसाकी को परास्त करना पदक जीतने से भी बड़ी बात है, क्योंकि उसने पूरे समय में अपने विरोधी को १ अंक तक नहीं लेने दिया था। इसलिए विनेश की इस जीत को इतिहास में सदियों तक याद रखा जाएगा। इसके पहले भी विनेश ने भारत के लिए अनेक जीत हासिल की है, इसलिए विनेश की योग्यता पर सवाल नहीं उठाना चाहिए, ना ही उसे अयोग्य साबित होने में स्वयं की गलती है।
अब बात उन बीते दिनों की, जब अनेक महिला-पुरुष पहलवान खेल संगठन के सामने अन्याय के खिलाफ खड़े हुए थे, पर उस समय अधिकतर लोगों ने प्रायोजित रूप से यह माहौल बनाने की कोशिश की कि, महिला पहलवान प्रसिद्धी पाने के लिए यह सब कर रहीं हैं। इतना सब झेलकर आज जब विनेश ने सबको अपने खेल से चित्त किया है, तो क्या उन लोगों को चुल्लू भर पानी में डूबकर मर नहीं जाना चाहिए! विनेश के उस बुरे समय में जिन्होंने भी इसके और साथियों द्वारा खेल संगठन के विरोध वाले संघर्ष को झुठलाया, तथा इनकी नीयत और योग्यता पर प्रश्नचिन्ह खड़े किए, अब तो उन सभी को जवाब मिल चुका है।
कहना गलत नहीं होगा कि, भारत की इस बहादुर बेटी के सामने आज सबके मुँह बंद हैं, क्योंकि जो सफल होता है, वही योग्य माना जाता है, पर उस अच्छे दौर में कोई नहीं देखता कि उसने खून के कितने आँसू रोए हैं।
विनेश ने भारत का वैश्विक परचम लहराते हुए विजेता के नाते फिर ना सिर्फ अपनी पहचान बनाई है, बल्कि बस बोलने वालों को कुश्ती के मैदान से करारी पटखनी दे दी है।
विनेश फोगाट ने पेरिस में भारत की सफलता की जो गूँज सुनाई है, वह कुश्ती लड़ने वाली हर बाला की आवाज बनी है और आगे भी बनेगी। इससे सच की लड़ाई लड़ने वालों को और हिम्मत मिलेगी, क्योंकि जो झूठे होते हैं, वो ऊँचाई तक नहीं पहुँच पाते हैं और उनके साथ देश नहीं होता है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाली इस बाला के हाथ से आज अंतिम स्तर पर १०० ग्राम वजन के चक्कर की चूक में पदक अवश्य फिसला है, पर विनेश ने १४० करोड़ लोगों के दिल में अप्रतिम सुनहरा स्थान प्राप्त किया है, साथ ही प्रतिभा पर अंगुली उठाने वालों को सच्चाई से कड़ा जवाब भी दिया है।

एक ही दिन में दुनिया की ३ धुरंधर पहलवानों को पराजित करके विनेश ने देशवासियों का दिल जीता है। और यक़ीनन इस वजह से यह सबके लिए गौरव व प्रेरणा बनी रहेंगी।