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समाज को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं उत्सव- ‘स्वाति’

काव्य गोष्ठी…

सोनीपत (हरियाणा)।

उत्सव और पर्व हमारी सांस्कृतिक विरासत है जो समाज को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह आयोजन पूरी तरह सफल रहा है।
मुख्य अतिथि संपत्ति चौरे ‘स्वाति’ ने यह बात २१३वीं कल्पकथा काव्य गोष्ठी में कही। कल्पकथा साहित्य संस्था की संवाद प्रभारी ज्योति राघव सिंह ने बताया कि माह के प्रथम रविवार को परिवार की इस गोष्ठी में निरंतर भक्ति भाव और आस्था के स्वर प्रवाहित होते रहे। साढ़े ४ घंटों के भक्तिभाव को समर्पित आयोजन का शुभारंभ नागपुर से वरिष्ठ साहित्यकार विजय रघुनाथराव डांगे ने गुरु वंदना, गणेश वंदना व सरस्वती वंदना के साथ किया। विद्वान साहित्यकार बिनोद कुमार पाण्डेय की अध्यक्षता एवं खैरागढ़ से जुड़ीं सृजनकार श्रीमती चौरे के मुख्यातिथ्य का कार्यक्रम निरंतर काव्य रचनाओं के साथ आनंदमय चर्चा से सुवासित होता रहा।
भास्कर सिंह ‘माणिक’ के मंच संचालन में पहली प्रस्तुति परिवार से पवनेश मिश्र की रही, जिन्होंने सरल हृदय भक्त भोलाराम की निश्छल भक्ति का प्रसंग सुनाकर वातावरण भक्तिमय कर दिया। वरिष्ठ साहित्यकार गोपाल कृष्ण बागी ने ‘वो ही मुझे लिखवाता है’ रचना के पाठ से वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। डॉ. अंजू सेमवाल ने ‘कृपा करो तुम हे मोहन’ गीत से गोकुल की गलियों की सैर करवा दी तो संवेदनशील रचनाकार विष्णु शंकर मीणा ने ‘आपदा में सहयोग’ रचना के साथ मानव धर्म और प्रकृति की रक्षा की अनुशंसा की। डॉ. जया शर्मा प्रियंवदा ने ‘राम बनेंगे भरतार जनकदुलारी के’ गीत, अमित पण्डा ने शिव स्तुति ‘उत्तर तुंग हिमालय से दक्षिण में रामेश्वर तक…’, सृजन मर्मज्ञ विजय रघुनाथराव डांगे ने विचारोत्सव पितृ पक्ष संगीतमय गायन में ‘धर्म सनातन विधि रचयिता व्रत संयम गृहवार तिथि’ और संस्थापक राधाश्री शर्मा ने ‘चलो रे मन जमुना जी के तीर’ रचना द्वारा माहौल को सुवासित कर दिया। बिनोद कुमार पाण्डेय, सुनील कुमार खुराना, अवधेश प्रसाद मिश्र ‘मधुप’, ज्योति प्यासी, डॉ. शशि जायसवाल व भगवान दास शर्मा आदि ने भी काव्य पाठ किया।
विशेष आकर्षण साहित्यकार अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत द्वारा चंद्र एवं सूर्यग्रहण के १२२ वर्षों पश्चात बने दुर्लभ संयोग के सकारात्मक प्रभावों की चर्चा रही।
अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री पाण्डेय ने आयोजन को सनातन संस्कृति की गरिमा के अनुरूप बताया। अंत में ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ शांति पाठ के साथ राधाश्री शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।