हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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मुंशी जी:कथा संवेदना के पितामह…
मनुष्य से मनुष्य को जोड़ने के लिए,
जो चल पड़ा भारतीय परिवेश को लिए
वह ‘कर्मभूमि’ से ‘गोदान’ का धनी,
सहृदयता की प्रेरणा मुंशी प्रेमचंद जी।
उनकी कहानी समाज को आईना दिखाती थी,
वह ‘शतरंज के खिलाड़ी’ हो या फिर ‘कफ़न’
वह तो प्रासंगिकता के कहानीकार ही नहीं,
वह संवेदनाओं के उपन्यासकार सहृदयता की प्रेरणा थे।
‘सेवा सदन’, ‘निर्मला’ का हर एक किरदार,
अपने-आपमें समाज को प्रेरित था।
नारी उत्थान के लिए वह वंचितों के मसीहा बन,
ग्रामीण परिकल्पना की वह सहृदयता की प्रेरणा बने॥