कुल पृष्ठ दर्शन : 273

You are currently viewing सावन आया अपने द्वार

सावन आया अपने द्वार

आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’
शेखपुरा(बिहार)
*********************************************

बहने लगी बरसाती बयार,
बूंदों की होने लगी है बौछार
धरती पर फिर छाया है बहार,
देखो सावन आया अपने द्वार।

प्रेम अग्नि में जले तन-मन अंतरंग,
दिल में मेरे हैं अनोखी उमंग
धरती गगन में उठे हैं तरंग,
मन में मधुर हैं खुशियां अपार।
देखो सावन आया अपने द्वार…

अब आया पावस का खु़मार,
नदियों में बढ़े हैं जलधार
नाविक सोचे पकड़े पतवार,
पंथी को कैसे करें उस पार।
देखो सावन आया अपने द्वार…

बजे मन में मधुर संगीत,
अति आतुर मिलन को मीत
गाते मधुरिम हैं सब गीत,
मोर नर्तन करने को तैयार।
देखो सावन आया अपने द्वार…

बादल जब करे गड़-गड़ गर्जन,
शिव शंकर करें कैलाश पर नर्तन।
बागों में झूले होते मंदिर में कीर्तन,
अनुपम छटा से हुआ जग तैयार।
देखो सावन आया अपने द्वार…॥

Leave a Reply