ममता साहू
कांकेर (छत्तीसगढ़)
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झूम के सावन आया है,
सखियों की याद दिलाई है।
देखो सुंदर हरियाली में,
पेड़ों की ऊँची डाली में।
दूर तक पेंग लगाती है,
नभ को छूकर आती है।
ऊपर-नीचे आते-जाते,
जीवन का पाठ पढ़ाती है।
सावन का प्यारा झूला,
सबका मन हर्षाता है।
रिमझिम-रिमझिम सी फुहार,
खुशियों की बहार लाती है।
आपस के बैर भुलाकर,
सबको गले मिलवाती है॥