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सीमा के निगाहबानों को…सौ सौ सलाम है…

डॉ.दिलीप गुप्ता
घरघोड़ा(छत्तीसगढ़)
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कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष……….

सीमा के निगाहबानों को…सौ-सौ सलाम है,
चौकस अड़े जवानों को…सौ-सौ सलाम हैll
अमन के रखवालों-आज़ादी-पहरेदारों को,
देश पे..कुरबानों को…सौ-सौ सलाम हैll
अवाम सुख से सोती है,वो पहरे पे होता है,
सीने में गोली खाकर,जननी की गोद सोता है
माटी को सौंपी जान को..सौ-सौ सलाम हैll

परिवार और देश में जो,देश को चुन लेता
तन-मन की सारी खुशियां वतन पे वार देता,
अपनी जवानी-उमंगें सभी को मार देता
आँधी-तूफां में भी अड़ा जो अपने काम है…
सीमा के निगाहबानों को सौ-सौ सलाम हैll

थाम के जब तक खड़े हैं राष्ट्रध्वज हमारा
बैरी न कर सके है बाल बांका हमारा,
बर्फ में,अग्नि में,बरसात-ठंड में
खड़े अडिग,परवाह न अपने अंजाम है…
सीमा के..निगाहबानों को सौ-सौ सलाम हैll

निज रक्त से तिलक जो भारती का किया करते
अवाम की रक्षा के लिए रोज-रोज मरते,
भूखे-प्यासे सरहद की चौकसी में जीते
शत्रु हो करोड़ों में भी अकेले लड़ जाते,
जब तक बदन में साँस है,करते संग्राम हैं
हिन्द के सपूतों को…कोटि प्रणाम है…l
सीमा में निगाहबानों को सौ-सौ सलाम हैll

परिचयडॉ.दिलीप गुप्ता का साहित्यिक उपनाम `दिल` है। १७ अप्रैल १९६६ को आपका जन्म-घरघोड़ा,जिला रायगढ़ (छग) में हुआ हैl वर्तमान निवास घरघोड़ा स्थित हनुमान चौक में ही हैl छत्तीसगढ़ राज्य के डॉ.गुप्ता ने एम.डी.(मेडीसिन)और डीएसी की शिक्षा हासिल की हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी चिकित्सा कार्य करते हैंl सामाजिक गतिविधि में अग्रणी होकर असहायों,गरीबों,बीमारों की हरसम्भव सहायता के साथ ही साहित्यिक सेवाएं-जन जागरण में भी तत्पर रहते हैं। आपकी लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल तथा कविताएं हैंl प्रकाशन में खुद की `हे पिता`(ओ बाबूजी)पुस्तक व करीब 20 संकलनों में रचनाएं प्रकाशित हुई है। आपको प्राप्त सम्मान में-कला श्री २०१६,डॉ.अब्दुल कलाम सम्मान सहित साहित्य अलंकरण २०१६ और दिल्ली से `काब्य अमृत` सम्मान आदि ख़ास हैंl २०१६ में कवि सम्मेलन में `राष्ट्रीय सेवा सम्मान` ४ बार प्राप्त किया है। डॉ.दिलीप की लेखनी का उद्देश्य समाज और संसार से बुराइयों को समाप्त कर अच्छाइयों से जन-जन को वाकिफ कराना है।

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