प्रिया देवांगन ‘प्रियू’
पंडरिया (छत्तीसगढ़)
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सूनी-सूनी राह,नहीं है आना-जाना।
सन्नाटा चहुँओर,बीत-सा रहा जमाना॥
गलियाँ सारी बंद,सभी घर के है अंदर।
खिड़की ताँके लोग,लगे जैसे हो बंदर॥
‘कोरोना’ का खौफ,लोग डरते हैं सारे।
सर्दी खाँसी छींक,सभी इससे है हारे॥
करो सही उपचार,हार ना ऐसे मानो।
मुश्किल होगी दूर,स्वयं खुद को पहचानो॥
स्कूल कॉलेज बन्द,हाथ मोबाइल पकड़े।
खेले वीडियो गेम,साथ में बच्चे झगड़े॥
बैठे सभी उदास,शांति जग में है छाया।
तन-मन है बेचैन,चीन बीमारी लाया॥