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‘सेबी’ छोटे निवेशकों के हितों को क्षति पहुँचाने के लिए अंग्रेजी का सहारा ले रहा ?

संदर्भ- शि. सं. DCOYA/E/२०२१/०५६३७ को अंग्रेजी में उत्तर लिखकर बिना समाधान बंद किया जाना।

विषय-‘सेबी’ छोटे निवेशकों के हितों को क्षति पहुँचाने के लिए अंग्रेजी भाषा का सहारा ले रहा है और आम निवेशकों की हिंदी में की गई शिकायतों पर कार्यवाही नहीं करता है।

आदरणीय महानुभाव,
मैं भारत का एक आम छोटा निवेशक हूँ,मेरे जैसे करोड़ों निवेशक सेबी के भाषाई भेदभावपूर्ण व्यवहार से असहाय रहते हैं क्योंकि-

*सेबी द्वारा निवेशक जागरुकता के सभी कार्य अंग्रेजी में किए जाते हैं।

* सेबी द्वारा अपने १०० प्रतिशत दस्तावेज अंग्रेजी में जारी किए जाते हैं। यहाँ तक कि सभी सार्वजनिक सूचनाएँ और निवेशक चार्टर भी केवल अंग्रेजी में जारी किए जाते हैं।

*सेबी द्वारा आज तक किसी भी सूचीबद्ध कंपनी को निवेशकों से जुड़ी जानकारी राजभाषा हिन्दी या अन्य भारतीय भाषाओं में देने के लिए नहीं कहा गया है,जबकि निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए यह बहुत जरूरी है,तभी निवेशक समझदारी पूर्ण निवेश कर सकते हैं। भारत जैसे भाषाई विविधता वाले देश में निवेशकों पर अंग्रेजी थोपना बहुत बड़ा अन्याय है,छलावा है, धोखाधड़ी है।

सेबी द्वारा आईपीओ लाने वाली कंपनियों को भावी निवेशकों से जुड़ी जानकारी राजभाषा हिन्दी या अन्य भारतीय भाषाओं में देने के लिए आज तक कोई नियम नहीं बनाया गया है। शेयर बाजार और म्युचुअल फंड में निवेश से संबंधित सारी प्रक्रिया केवल अंग्रेजी में चलती है जबकि भारत में अंग्रेजी जानने वाले मात्र ३ प्रतिशत लोग ही हैं।

*सेबी द्वारा आईपीओ लाने वाली कंपनियों को अपने विज्ञापन केवल अंग्रेजी में लाने के लिए ही अनिवार्य किया गया है,इसके पीछे कारण यही है कि सेबी चाहता ही नहीं है कि छोटे निवेशकों को सही जानकारी मिले।

*सेबी को आम निवेशक अपनी शिकायतें अंग्रेजी के अलावा किसी भी भारतीय भाषा में नहीं कर सकता है,इसलिए हजारों शिकायतों के बाद भी छोटे निवेशक अपनी शिकायतें कर ही नहीं पाते हैं क्योंकि उनको अंग्रेजी भाषा का ज्ञान ही नहीं है।

*भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड की वेबसाइट(sebi.gov.in/)का केवल मुखपृष्ठ हिन्दी में है,शेष अंग्रेजी में बनाई गई है। इस पर कोई भी दस्तावेज,प्रपत्र,आवेदन और ऑनलाइन सुविधा राजभाषा हिंदी में उपलब्ध नहीं हैं।

*बोर्ड द्वारा बाजार मध्यस्थों,मर्चेंट बैंकरों,कंपनियों को सभी आदेश भी केवल अंग्रेजी में जारी किए जा रहे हैं। उन आदेशों की कोई भी जानकारी छोटे निवेशकों की जागरुकता के लिए सेबी द्वारा राजभाषा में जारी नहीं की जाती है।

*बोर्ड की वेबसाइट पर राजभाषा अधिनियम की धारा ३(३) का कोई भी दस्तावेज हिन्दी में प्रदर्शित नहीं किया जाता है।

*सेबी द्वारा भर्ती सूचनाएँ केवल अंग्रेजी में जारी की जाती हैं और उम्मीदवारों से उनके अंग्रेजी के ज्ञान के आधार पर भेदभाव किया जाता है। योग्य उम्मीदवारों को इसी आधार पर चयन प्रक्रिया से बाहर रखा जाता है।

*एक डीमैट खाता खोलने के लिए भी अंग्रेजी का ज्ञान अनिवार्य है,जिसे अंग्रेजी नहीं आती वह स्वयं से अपना डीमैट खाता आवेदन भी नहीं भर सकता है। शेयर बाजार में सारा लेन-देन,अनुबंध-पत्र,ई-मेल,लाभांश की सूचना,कंपनियों की बोर्ड बैठकों व साधारण सभाओं की सूचना १०० प्रतिशत अंग्रेजी में आती है क्योंकि सेबी ने सभी सूचनाएँ केवल अंग्रेजी में भेजना ही अनिवार्य किया है।

*सेबी ने गत १५ वर्षों में निवेशकों से जुड़ी कोई भी सुविधा या ऑनलाइन सुविधा राजभाषा हिन्दी व भारतीय भाषाओं में शुरू नहीं की है,क्योंकि लगता है कि सेबी के अधिकारी चाहते हैं कि अंग्रेजी न जानने वाले लोग शेयर बाजार से दूर ही रहे हैं। यदि अंग्रेजी न जानने वाले करोड़ों छोटे निवेशक शेयर बाजार या म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं तो वे नुकसान उठाते रहें क्योंकि सेबी के लिए निवेशकों के हित नहीं,बल्कि अंग्रेजी की गुलामी करना ज्यादा जरूरी है।
क्या भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड द्वारा राजभाषा अधिनियम तथा राष्ट्रपति के आदेशों का उल्लंघन अनवरत जारी रहेगा ? छोटे निवेशकों के हित में सेबी अंग्रेजी के अपने दंभ से बाहर कब निकलेगा,ताकि महानगरों के बाहर के लोग भी शेयर बाजार की समृद्धि का लाभ उठा सकें ?
आम निवेशकों के व्यापक हितों के लिए सेबी को निर्देशित करें कि वह राजभाषा हिन्दी को अपनाए और कंपनियों,बाजार मध्यस्थों को भारतीय भाषाओं में सुविधाएँ देने के लिए नियम बनाए। आपके द्वारा समुचित कार्यवाही की अपेक्षा है।

                                                                                                 भवदीय
                                                                                          सरफराज नागोरी

(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुंबई)

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