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सोच के कदम बढ़ाना

राधा गोयल
नई दिल्ली
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अफगानिस्तान में मची हुई है आज तबाही भारी,
तालिबानियों के आतंक से थर्राई दुनिया सारी।

कितने ही अफगानी वहाँ से जान बचाकर भागे,
किसी देश ने शरण नहीं दी उनके डर के आगे।

ऐसा न हो इसी आड़ में ‘तालिबानी’ आ जाएँ,
अपने आश्रयदाता को ही ये धोखा दे जाएँ।

एक भूल के कारण ही सदियों की सजा मिली थी,
कितनों की आहुतियों से आजादी हमें मिली थी।

अब धोखे में मत आ जाना,सोच के कदम बढ़ाना,
देश के हित में मिलकर सारे ‘साथी हाथ बढ़ाना।

कर देंगे जीना हराम ये,आश्रय इन्हें दिया तो,
सोच-समझकर निर्णय लेना,पड़े न फिर पछताना॥

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