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स्मृतियों के चित्र

वंदना जैन ‘शिव्या’
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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अंतर्मन के रिक्त कैनवास पर,
स्मृतियों ने कुछ चित्र उकेरे हैं।

कुछ धूप से सुनहरे चटकीले,
कुछ श्यामल से मेघ घनेरे हैं।

एक मुस्कुराता उजला चाँद तुम-सा,
दो चकोर से तकते नयन मेरे हैं।

बिरौनियों से छन कर दूर दृष्टि में,
इंद्रधनुषीय स्वप्नों के प्रीत घेरे हैं।

कुछ झंझावात विरह रात्रि संग,
तिनके मिलन आस के सवेरे हैं।

कुछ हरियाली-सी स्मित मुस्कानें,
कुछ पलकों से झरते अश्रु हीरे हैं।

एक पथरीली कंटीली राह है,
उस पर पग तुम संग लेते फेरे हैं॥

परिचय- वर्तमान में वंदना जैन जिला ठाणे (मुम्बई, महाराष्ट्र) स्थित वाशी में स्थाई तौर से बसी हुई हैं। जन्म तारीख ३० जून व स्थान अजमेर (राजस्थान) है। हिंदी, अंग्रेजी, मराठी व राजस्थानी भाषा का भी ज्ञान रखने वाली वंदना जैन की शिक्षा द्वि एम.ए. (राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन) है। कार्यक्षेत्र में शिक्षक होकर सामाजिक गतिविधि में सामाजिक मीडिया पर सक्रिय रहती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता, गीत व लेख है। काव्य संग्रह ‘कलम वंदन’ प्रकाशित है तो कई पत्र-पत्रिकाओं में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित होना जारी है। पुनीत साहित्य भास्कर सम्मान और पुनीत शब्द सुमन सम्मान से सम्मानित वंदना जैन ब्लॉग पर भी अपनी बात व्यक्त करती हैं। इनकी उपलब्धि-संग्रह ‘कलम वंदन’ है तो लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा व आत्म संतुष्टि है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नागार्जुन व प्रेरणापुंज डॉ. कुमार विश्वास हैं। विशेषज्ञता-श्रृंगार व सामाजिक विषय पर लेखन की है। जीवन लक्ष्य-साहित्य के क्षेत्र में उत्तम स्थान प्राप्त करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“मुझे अपने देश और हिंदी भाषा पर अत्यधिक गर्व है।”