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स्वागत है नवसंवत्सर

संजीव एस. आहिरे
नाशिक (महाराष्ट्र)
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अबीर गुलाल फाग अभी भी,
उमड़ रहा है दिशा-दिशा में
होरी का उल्हास छाया है हर नित,
अमीत नवनीत दिशा में।

गुलाल के उमड़े बादल गुल-गुलाल-सा, गुल बदन हुआ समां
ढोलों पर पड़ी गूँज रही अभी थापें, न ढोलियों का पसीना थमा।

ऐसे में नवकिरण नव संवत्सर की, स्वर्णिम-स्वर्णिम-सी प्राची है
उदित हुआ नव भास्कर, नारायण, उजली-उजली मन की माची है।

गंधित-सुगंधित-सा समां है, उजला उजला नवनीत हुआ आसमां है
आओ नवसंवत्सर महाकाल प्रिय, आया वंदन-अभिनंदन का समां है।

उल्हास छाया है गगन में, बसंतिया दस दिशाएं पुलकित सुरभित
टेसुओं ने केसरिया परचम लहराए, शाल्मलियों के सुमन है अर्पित।

मधुमालतियों के बदन पर, गजरे- गजरे सजे अनुगंधित और सुगंधित
सरजना के श्वेत-श्वेत गजरों में, मधुरानियों की गुत्थम-गुत्त्था प्रीत।

अमियो संग झूला झूलो आओ संवत्सर,
सजा दो आखातीज की बेला
तुम्हारे स्वागत में पलक-पावड़े बिछाकर,
मौसम होता जा रहा अलबेला।

गीत सर्जना की साधना में लगा है,
अमराइयों में कोयलिया का टोला।
आओ पधारो प्रिय नव काल महाकाल,
अबके वंचितों का भर देना झोला॥

परिचय-संजीव शंकरराव आहिरे का जन्म १५ फरवरी (१९६७) को मांजरे तहसील (मालेगांव, जिला-नाशिक) में हुआ है। महाराष्ट्र राज्य के नाशिक के गोपाल नगर में आपका वर्तमान और स्थाई बसेरा है। हिंदी, मराठी, अंग्रेजी व अहिराणी भाषा जानते हुए एम.एस-सी. (रसायनशास्त्र) एवं एम.बी.ए. (मानव संसाधन) तक शिक्षित हैं। कार्यक्षेत्र में जनसंपर्क अधिकारी (नाशिक) होकर सामाजिक गतिविधि में सिद्धी विनायक मानव कल्याण मिशन में मार्गदर्शक, संस्कार भारती में सदस्य, कुटुंब प्रबोधन गतिविधि में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ विविध विषयों पर सामाजिक व्याख्यान भी देते हैं। इनकी लेखन विधा-हिंदी और मराठी में कविता, गीत व लेख है। विभिन्न रचनाओं का समाचार पत्रों में प्रकाशन होने के साथ ही ‘वनिताओं की फरियादें’ (हिंदी पर्यावरण काव्य संग्रह), ‘सांजवात’ (मराठी काव्य संग्रह), पंचवटी के राम’ (गद्य-पद्य पुस्तक), ‘हृदयांजली ही गोदेसाठी’ (काव्य संग्रह) तथा ‘पल्लवित हुए अरमान’ (काव्य संग्रह) भी आपके नाम हैं। संजीव आहिरे को प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में अभा निबंध स्पर्धा में प्रथम और द्वितीय पुरस्कार, ‘सांजवात’ हेतु राज्य स्तरीय पुरुषोत्तम पुरस्कार, राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार (पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार), राष्ट्रीय छत्रपति संभाजी साहित्य गौरव पुरस्कार (मराठी साहित्य परिषद), राष्ट्रीय शब्द सम्मान पुरस्कार (केंद्रीय सचिवालय हिंदी साहित्य परिषद), केमिकल रत्न पुरस्कार (औद्योगिक क्षेत्र) व श्रेष्ठ रचनाकार पुरस्कार (राजश्री साहित्य अकादमी) मिले हैं। आपकी विशेष उपलब्धि राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार, केंद्र सरकार द्वारा विशेष सम्मान, ‘राम दर्शन’ (हिंदी महाकाव्य प्रस्तुति) के लिए महाराष्ट्र सरकार (पर्यटन मंत्रालय) द्वारा विशेष सम्मान तथा रेडियो (तरंग सांगली) पर ‘रामदर्शन’ प्रसारित होना है। प्रकृति के प्रति समाज व नयी पीढ़ी का आत्मीय भाव जगाना, पर्यावरण के प्रति जागरूक करना, हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु लेखन-व्याख्यानों से जागृति लाना, भारतीय नदियों से जनमानस का भाव पुनर्स्थापित करना, राष्ट्रीयता की मुख्य धारा बनाना और ‘रामदर्शन’ से परिवार एवं समाज को रिश्तों के प्रति जागरूक बनाना इनकी लेखनी का उद्देश्य है। पसंदीदा हिंदी लेखक प्रेमचंद जी, धर्मवीर भारती हैं तो प्रेरणापुंज स्वप्रेरणा है। श्री आहिरे का जीवन लक्ष्य हिंदी साहित्यकार के रूप में स्थापित होना, ‘रामदर्शन’ का जीवनपर्यंत लेखन तथा शिवाजी महाराज पर हिंदी महाकाव्य का निर्माण करना है।