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स्व. द्विवेदी, नागर एवं वर्मा का किया पुण्य स्मरण

लखनऊ (उप्र)।

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा हजारी प्रसाद द्विवेदी, अमृतलाल नागर एवं भगवतीचरण वर्मा के स्मृति समारोह के शुभ अवसर पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन हिन्दी भवन के निराला सभागार लखनऊ में किया गया। दीप प्रज्वलन, माँ सरस्वती की प्रतिमा एवं हजारी प्रसाद द्विवेदी, अमृतलाल नागर एवं भगवती चरण वर्मा के चित्र पर माल्यार्पण के उपरान्त वाणी वंदना सुश्री रत्ना शुक्ला द्वारा प्रस्तुत की गई।
अतिथि पद्मश्री डॉ. विद्याबिन्दु सिंह, पद्मकान्त शर्मा ‘प्रभात’, चन्द्रशेखर वर्मा रहे। सभी का स्वागत डॉ. अमिता दुबे (प्रधान सम्पादक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान) ने किया। श्री वर्मा ने कहा कि भगवती चरण वर्मा की साहित्यिक यात्रा कवि के रूप में शुरू हुई । वर्मा जी की कृतियों में मानवीय संवेदनाओं का बिम्ब-प्रतिबिम्ब दिखाई पड़ता है। पद्मकान्त शर्मा ने कहा कि हजारी प्रसाद द्विवेदी हिन्दी साहित्य, हिन्दी, संस्कृत और बंगला भाषाओं के उन्नायक थे। आपने उनकी कविताओं का पाठ किया। डॉ. सिंह ने नागर जी की कृति ‘सुहाग के नुपुर’ सांराश के माध्यम से भारतीय नारी के सुहाग चिह्न की उपयोगिता भी बताई। उन्होंने कहा कि नागर जी का नाम विशेष सर्जकों में हैं, जिन्होंने साहित्य की विरासत को आगे बढ़ाया और साहित्य से होते हुए वे रेडियो की दुनिया में भी आए।
डॉ. अमिता दुबे द्वारा कार्यक्रम का संचालन एवं आभार व्यक्त किया गया।