उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’
कटनी (मध्यप्रदेश )
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श्राद्ध, श्रध्दा और हम (पितृपक्ष विशेष)…
श्रध्दा भाव से आवाहन करके आओ इन्हें बुलाएँ हम,
श्रध्दा भक्ति से सुमिरन करके इनको आज रिझाए हम…।
जो कभी छोड़कर हमको घर से विदा हुए थे कभी,
पितर पक्ष में उन सबको पुनः अपने घर बुलाएँ हम…।
लोगों की दृष्टि से वो सब हमें संसार छोड़ कर चले गए,
वो नादान क्या यह जानें, आज भी वो दिलों में बसे हुए…।
अपने जितने बिछड़े हैं उनका तर्पण आओ करें हम,
उनकी याद में खीर और पूड़ी, फलों का दान आओ करें हम…।
इन पावन पंद्रह दिनों में भक्ति से हम पशु-पक्षी को दें दाना,
उनके रूप में हम सब मिलकर पितरों को हमने है जाना…।
श्रध्दा और श्राद्ध के भोजन में बेल लगी सब्जी बनाएं,
तोरी के पत्ते पर कड़ी चावल संग मिलवा भोज्य अर्पण करें…।
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पितृ पक्ष में नहा कर गीले वस्त्र जल नित अर्पित करें,
महालक्ष्मी का व्रत धारण कर दूसरे दिन पितृ विदा करें…।
श्रध्दा से श्रद्धालुओं को प्रेमपूर्वक भोजन करवाएं,
अपनों संग मिल बैठ कर प्रेम पूर्वक भोजन करिए…।
आशीर्वाद हमें वह देकर जाएंगें यही विश्वास मन धरें,
पित्तरों को नमन करके आओ उर की बातें उनके समक्ष रखें…॥