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हम सब बिल्कुल गुमनाम

राधा गोयल
नई दिल्ली
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ओ महलों में रहने वालों, मैंने महल बनाए हैं,
बड़े-बड़े पुल, बाँध, सड़क मेरे कारण बन पाए हैं।

माना कि योजना तुम्हारी, धन भी सभी तुम्हारा था,
उसको पूरा करने में, पूरा सहयोग हमारा था।

श्रमिकों के सहयोग बिना निर्माण नहीं कर सकते थे,
केवल अपने बल पर, देश की प्रगति नहीं कर सकते थे।

तुमको तो सम्मान मिला, हम सब बिल्कुल गुमनाम रहे,
हमने बस इतना चाहा, कोई श्रमिक न बेरोजगार रहे।

केवल इतना चाहते हैं इस बात का तुमको भान रहे,
दोनों को दोनों की जरूरत, इतना तुमको ज्ञान रहे।

देश में नित्य नया निर्माण तभी संभव हो पाएगा,
जब सबकी नज़रों में श्रमिकों का भी कुछ सम्मान रहे॥

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