हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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भक्ति, संस्कृति, और समृद्धि की प्रतीक ‘हिन्दी’ (हिन्दी दिवस विशेष)….
आओ हम सब मिलकर हिन्दी को पहचान दिलाएँ,
हिन्दी भारत की भाषा है इसका गुणगान गाएँ
शब्दों के नये-नये प्रयोगों से नवसृजन करें हम,
आओ खुद पढ़ें और पढ़ाएँ।
आओ हम सब मिलकर आगे आएँ…
बोलचाल में बोली मीठी हिन्दी, लिखने में भाषा है सरल
हम सब इसकी आभा को समझाएँ, यह है सरल,
इस आधुनिक युग में भारत की समृद्धि के गौरव को हिन्दी की चादर ओढ़ाएँ।
आओ हम सब मिलकर आगे आएँ…
इसका हर एक शब्द बड़ा है कोमल,
इन शब्दों की संरचना से इनका भावार्थ समझाएँ
छोटे-छोटे वाक्यों को मिलाकर,
हम व्याकरण, काव्य रचना, संस्मरण, लेख लिखते चले जाएँ।
आओ हम सब मिलकर आगे आएँ…
हमारी समृद्धि-संस्कृति का हिस्सा है हिन्दी,
हम पढ़ें और लिखें हिन्दी, है पहचान हमारी
इसके लिए हम सब मिलकर आगे आएँ,
आओ लिखें हिन्दी में, हम भारत का सम्मान बढ़ाएँ।
आओ हम सब मिलकर आगे आएँ…
हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाकर,
हिन्दी को ऊँचाईयों पर ले जाएँ
इसके बिना हर एक काम अधूरा, क्योंकि यह हमारी पहचान है।
गुलामी की प्रतीक भाषाओं को मिटाएँ,
आओ हिन्दी को बढ़ाएँ, हम सब मिलकर आगे आएँ॥