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हम स्वाभिमानी

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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हम स्वाभिमान से रहते हैं
हम स्वयं में शक्ति रखते हैं,
नहीं अन्य देश में घुसते हैं-
नहीं व्यर्थ तमाशा करते हैं।

वसुधा के हम रखवाले हैं
अन्याय न सहने वाले हैं,
करे अन्य कोई अन्याय अगर-
उसको समझाने वाले हैं।

है देश पड़ोसी इसीलिए
कई बार इन्हें बतलाया है,
औक़ात में अपनी रहना तुम-
यह बार-बार समझाया है।

पर तुमने तो हद पार किया
निर्दोषों पर वार किया,
पूछ-पूछ कर जाति-धर्म-
पुरूषों को तुमने मार दिया।

महिलाओं से कह-कह कर
फिर मोदी को ललकार दिया,
बदला तो हमको लेना था-
आतंक ठिकाना साफ़ किया।

बेटियों को तुमने तड़पाया
पर सबक उन्हीं ने सिखलाया,
घर में घुस कर हमने मारा-
औक़ात तुम्हीं को दिखलाया।

हर बार वार ख़ाली जाए
पागल हाथी-सा बौराए,
बेकार मिसाइल हमला कर
शक्ति अपनी तुम दिखलाये।

हर जगह मात खा रहे मगर
फिर भी तुम बाज नहीं आए,
आखिर में तुमको झुकना था-
बिगड़े हालात से लड़ना था।

कहती एक बात सम्हल जाते,
अन्याय न इतना करना था।
आतंकवाद को ख़त्म करो-
घर उनको देना बंद करो॥