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हरियाली तीज, रीत-प्रीत मनुहार

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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हरियाली हर हार में, पावस की मनुहार।
प्रीत मिलन उपहार है, झूलों का त्योहार॥
झूलों का त्योहार, सखी सब संगत झूले।
पिय हिय की विज्ञात, मोद मन ही मन फूले॥
कहे ‘विज्ञ’ कविराय, बसे हिय में वनमाली।
सखियाँ समझें और, बसे हरि मन हरियाली॥

सावन की शुभ तीज है, आए हैं भरतार।
मन चाही मन की हुई, रीत प्रीत मनुहार॥
रीत प्रीत मनुहार, लहरिया साजन लाए।
चूड़े अजब सिँगार, सिँजारे घेवर आए॥
कहे ‘विज्ञ’ कविराय, भले नित ऐसे पावन।
शिव गौरी श्रृंगार, कान्ह राधे ज्यों सावन॥

पावस मेल मिलाप की, पशु पक्षी इन्सान।
प्रीत मिलन की आस में, पाले जन अरमान॥
पाले जन अरमान, जीव नर हो या मादा।
लता चढ़े तरु संग, जीव जन तज मर्यादा॥
‘लाल’ गुलाबी रंग, पके फल गौरी तामस।
रीत-प्रीत-मनुहार, मना लो शुभदा पावस॥

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा है। आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) है। सिकन्दरा में ही आपका आशियाना है।राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन (राजकीय सेवा) का है। सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैं। शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया है।आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः है।