सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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मेरी मुट्ठी में सारा जहाँ साथियों,
आज छूने चली आसमाँ साथियों
कोई रोको नहीं, कोई टोको नहीं,
हाथ में चाँद-सूरज उगा साथियों।
मन में संकल्प कर आगे बढ़ना मुझे,
राह मेरी न रोको मेरे साथियों
कर तपस्या प्रगति की मैं सीढ़ी चढ़ूँ,
रखती हूँ अपने अंदर वो दम साथियों।
आगे-पीछे बड़ी मुश्किलें आएँगी,
सोच कर हमको रखना कदम साथियों
चाह सबकी कभी पूरी होती नहीं,
रखना मन में सदा हौसला साथियों।
चढ़ती सीढ़ी फिसलती है चींटी सदा,
राह फिर भी बनाती सुनो साथियों।
हार और जीत का दौर चलता सदा,
हार के बाद होती है जय साथियों॥