कुल पृष्ठ दर्शन : 88

You are currently viewing हिसाब-किताब कर लो

हिसाब-किताब कर लो

जी.एल. जैन
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
*************************************

स्वयं का स्वयं से अनुबंध कर लो,
विखरे हुए संबंध को अटूट कर लो
अथाह कचरा है आत्मा के कोने में,
आत्मा को स्वच्छ व निर्मल कर लो।

भटके हो पर अब विश्वास कर लो,
साँसों का हिसाब-किताब कर लो
मोल नहीं होता अच्छे कर्मों का,
अच्छे-बुरे कर्मों का तोल कर लो।

रास्ते में मिले हो तो रास्ता दिखा दो,
अनजान शहर में पहचान बता दो।
जीवन में सुख ही है दुःख का कारण,
स्वयं को स्वयं की औकात दिखा दो॥