सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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हे एकदंत,
हे दयावंत।
गौरी के लाल,
मस्तक विशाल।
है भुजा चार,
मुक्तन का हार।
स्वागत में गान,
मोदक औ पान।
मूषक सवार,
गणपति उदार।
भक्तों की आन,
रखते हैं ध्यान।
प्रभु हैं विशेष,
गणपति गणेश।
धरूँ चरण नाथ,
रहना तुम साथ।
मेरी पुकार,
करना स्वीकार॥