डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’
जोधपुर (राजस्थान)
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कुछ तो विचार करना होगा,
रस से जीवन भरना होगा
जीवन को सरल करना होगा,
तुझको सब कुछ करना होगा
हे मन तू है अग्रगामी।
जो न था तेरा छूट गया,
अपनों से नाता टूट गया
जो खोया है उसको सोच,
जो पाना है तू उसको सोच
हे मन तू है अग्रगामी।
पल-पल करता तू इंतजार,
तू कर ले अपने पर उपकार
तू कर न आशा से इंकार,
नियति को करता तू स्वीकार
हे मन तू है अग्रगामी।
ऐसा कोई काम किया जाए,
जो लाभ देश को हो जाए
देश की खातिर जिया जाए,
स्वार्थ से दूर रहा जाए
हे मन तू है अग्रगामी।
जुल्म से टक्कर ली जाए,
संकट में कैसे जिया जाए
अब कौन-सा उपाय किया जाए।
‘शाहीन’ को साथ लिया जाए,
हे मन तू है अग्रगामी॥