कुल पृष्ठ दर्शन : 329

You are currently viewing फ़िजा भी तरबतर

फ़िजा भी तरबतर

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

मुहब्बत से फ़िजा भी तरबतर है,
कहाँ जालिम छुपा तू बेखबर है।

तलाश पनाह ढूंढे दिल ये भीगा,
समेटे छाँव तू सारे किधर है।

वसल की चाह हम डूबे भवँर में,
उधर इंतजार की हद बेअसर है।

न होगा मुख्तसर तेरा सफर भी,
चला आ राह में मेरी नज़र है।

घड़ी दो-चार की ये जिंदगी है,
कयामत तक न लाये हम उमर है।

कसर कुछ आह में ना कसक कम है,
तेरे ही पास में मेरा शहर है।

ढला है दिन अभी शब सफर बाकी,
न ठहर बढ़ देख सर पर ही क़मर है।

अकेले सुर्ख जलते से नजर ये
नमी भी आँख में कुछ बेहतर है।

न उल्फ़त तोड़ ऐसे समझ ‘ममता’,
बहुत गहरा मुहब्बत का असर है॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply