सोनीपत (हरियाणा)।
राष्ट्र प्रथम, हिन्दी भाषा, सनातन संस्कृति एवं सद साहित्य की सेवा हेतु कृत संकल्पित कल्पकथा साहित्य संस्था परिवार की साप्ताहिक आभासी काव्य गोष्ठी पौराणिक भक्ति प्रसंगों पर आधारित काव्य रचनाओं से सुवासित होती रही। इसकी अध्यक्षता वाराणसी के प्रबुद्ध साहित्यकार पं. अवधेश प्रसाद मिश्र ‘मधुप’ ने की। विद्वान कवयित्री मेघा अग्रवाल (नागपुर) का मुख्यातिथ्य रहा।
परिवार की संवाद प्रभारी ज्योति राघव सिंह ने बताया कि श्री गणेश, भगवान दत्तात्रेय, बद्रीनारायण, माता रानी की महिमा के साथ रामायण-महाभारत आदि पर आधारित भक्ति काव्य से सजी रविवारीय संध्या में देश-विदेश से अनेक विद्वान साहित्यकार जुड़े। भास्कर सिंह ‘माणिक’ के मंच संचालन में इसका शुभारंभ बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी विजय रघुनाथराव डांगे (नागपुर) द्वारा संगीतमय गुरु, गणेश व सरस्वती वंदना के साथ किया गया।
उत्तरकाशी से डॉ. अंजू सेमवाल ने भगवान बद्री विशाल को दोहों के साथ प्रणाम निवेदित किया, तो आनंदी नौटियाल ने ‘बद्री विशाल केदारेश्वर स्वीकार करें साष्टांग नमन’ रचना में भगवान बद्रीनाथ धाम की अलौकिक शोभा का वर्णन किया। कवि अमित पण्डा ने भीष्म-केशव संवाद का शब्द चित्र खींचा। गोरखपुर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. श्याम बिहारी मिश्र ने ‘प्रभु आधार हमारे’ रचना द्वारा आस्था का शिखर स्पर्श किया, तो पवनेश मिश्र ने भगवान श्री गणेश के १०८ नामों को काव्य रचना में पिरोने का प्रयास किया। इनके अलावा योगेश गहतोड़ी, बिनोद कुमार पाण्डेय, संपत्ति चौरे, भगवानदास शर्मा, सुनील कुमार खुराना, श्रीमती सांद्रा लुटावन, ज्योति प्यासी, ‘मधुप’ और संस्थापक राधाश्री शर्मा आदि ने भी पाठ किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में ‘मधुप’ ने आयोजन की सफलता पर संतोष प्रकट करते हुए कहा कि भक्ति भाव की रचनाएँ सिर्फ शब्दों को नहीं बल्कि भावनाओं को भी पावन बनाती है। अतिथि श्रीमती अग्रवाल ने रचनाओं की प्रशंसा करते हुए सद साहित्य की सेवा हेतु सभी से आगे आने का आवाह्न किया।
राधाश्री शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया।
