ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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आँख सुजाई रुलाई,मैं हर्षित हूँ तेरी विदाई में…
मृत्यु की सौगात लिए आया,
जग में तूने आग लगाई
आँसू का सैलाब समेटो,
जा रे चला जा खुदाई से।
हर्षित हूँ तेरी विदाई में…
मजदूरों से मजदूरी छूटी,
सड़कें सूनी दुकानें टूटी
अर्थ देश का कोविड खाया,
कमर झुकी तरुणाई।
हर्षित हूँ तेरी विदाई में…
ट्रेन बंद और बसें रुकी,
बाजारों की शटर झुकी
कोरोना और तेरी चली,
पूरे वर्ष आशनाई में।
हर्षित हूँ तेरी विदाई में…
नाम दरज इतिहास कराया,
सही राह से जन भटकाया
बीस बीस तू चार सौ बीस,
बीते साल कठिनाई में।
हर्षित हूँ तेरी बिदाई में…
शाहीन बाग,दिल्ली दंगा,
इन्सान साल हुआ नंगा
कट्टा-बट्टा लगा रहा है,
फसल बुआई कटाई में।
हर्षित हूँ तेरी बिदाई में….॥