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तुमने क्या सही किया!

अलका ‘सोनी’
पश्चिम वर्धमान(पश्चिम बंगाल)
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हे सीता!!
तुमने क्या
यह सही किया,
जो भी किया
कहो,किसलिए किया ?

जग को कब
तेरी परख रही,
कई विध किस्मत थी
तुझको निरख रही,
जीवन था जब तक
तुमने बस आँच सहीl

यह बात अलग है कि
अब भी तुम,
पूजी जाती हो
जब बात चले,
पतिव्रता की तुम ही
पहले गिनी जाती होl

लेकिन तुमने सुख
कोई यहां कब पाया था,
पग-पग पर देकर
इतनी परीक्षाएं,
केवल तप में
जीवन बिताया थाl

देवी स्वरूपा होकर भी
मनुजों से छली गई,
धरती से निकली तुम
हल से टकराकर,
अंत भी पाया तुमने
इस धरती में समा करl

क्यों काली का रूप
तुमने धरा नहीं,
विमूढ़ हुए जनमानस को
श्राप क्यों दिया नहीं,
अश्रुधारा केवल होती
नारी की पहचान नहींl

अधम है वह समाज
जहां पर होता,
नारी का सम्मान नहीं
अगर तुमने तभी,
भृकुटि अपनी तानी होतीl
भरी सभा में फिर,
घसीट पांचाली नहीं
लाई गई होतीll

परिचयअलका ‘सोनी’ का जन्म २३ नवम्बर १९८६ को देवघर(झारखंड)में हुआ है। बर्नपुर(पश्चिम बंगाल)में आपका स्थाई निवास है। जिला-पश्चिम वर्धमान निवासी अलका ‘सोनी’ की पूर्ण शिक्षा-एम.ए.(हिंदी) व बी.एड. है। लेखन विधा-कविता,लघुकथा व आलेख आदि है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हैं। आपको अनेक मंचों द्वारा सम्मान-पुरस्कार दिए गए हैं। लेखनी का उद्देश्य-आत्मसंतुष्टि व समाज कल्याण है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेरणापुंज रामधारी सिंह ‘दिनकर’ एवं ‘निराला’ हैं। इनका जीवन लक्ष्य-साहित्य में कुछ करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-‘हिंदी के प्रति लोगों का नजरिया बदला है और आगे भी सकारात्मक बदलाव होंगे।’

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