डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’
मुंबई(महाराष्ट्र)
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मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………
कर सकूँ बयाँ शब्दों तुम्हें,
है संभव नहीं यह माँ।
हूँ तुम्हारा अंश मैं माँ,
तुम्हारे बिन नहीं कोई
मेरा अस्तित्व जग में माँ।
भरी है जो किलकारियाँ,
तुम्हारी गोद के ब्रह्मांड में।
हैं अंकित मेरी अट्ठखेलियाँ,
तुम्हारे उर के अंत:स्थल में।
कटु थी तुम,
मृदु भी रही तुम।
कर कमलों के मर्म स्पर्श ने,
दिया अथक मनोबल
मेरे स्वाभिमान को।
कभी सरिता,
तो कभी सागर-सा
नेह बरसाया मुझ पर।
बन सखी उतर
जाया करती हो,
मेरे विचारों के धरातल पर।
तो कभी बन ढाल,
फेर दिया पानी
बेगानों के भ्रष्ट इरादों पर।
न जाने पढ़ लिया करती हो,
कैसे चेहरे के हाव-भावों को।
बन चाणक्य सिखा दिए,
दर्द,साहस,संघर्ष,विवेक
कला-कौशल आदि के पाठ।
माँ! हो तुम पहेली आज भी,
कर सकूँ बयाँ शब्दों तुम्हें,
है संभव नहीं यह माँ॥
परिचय–पूजा हेमकुमार अलापुरिया का साहित्यिक उपनाम ‘हेमाक्ष’ हैl जन्म तिथि १२ अगस्त १९८० तथा जन्म स्थान दिल्ली हैl श्रीमती अलापुरिया का निवास नवी मुंबई के ऐरोली में हैl महाराष्ट्र राज्य के शहर मुंबई की वासी ‘हेमाक्ष’ ने हिंदी में स्नातकोत्तर सहित बी.एड.,एम.फिल (हिंदी) की शिक्षा प्राप्त की है,और पी.एच-डी. की शोधार्थी हैंI आपका कार्यक्षेत्र मुंबई स्थित निजी महाविद्यालय हैl रचना प्रकाशन के तहत आपके द्वारा आदिवासियों का आन्दोलन,किन्नर और संघर्षमयी जीवन….! तथा मानव जीवन पर गहराता ‘जल संकट’ आदि विषय पर लिखे गए लेख कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैंl हिंदी मासिक पत्रिका के स्तम्भ की परिचर्चा में भी आप विशेषज्ञ के रूप में सहभागिता कर चुकी हैंl आपकी प्रमुख कविताएं-`आज कुछ अजीब महसूस…!`,`दोस्ती की कोई सूरत नहीं होती…!`और `उड़ जाएगी चिड़िया`आदि को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिला हैl यदि सम्म्मान देखें तो आपको निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार तथा महाराष्ट्र रामलीला उत्सव समिति द्वारा `श्रेष्ठ शिक्षिका` के लिए १६वा गोस्वामी संत तुलसीदासकृत रामचरित मानस पुरस्कार दिया गया हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा में लेखन कार्य करके अपने मनोभावों,विचारों एवं बदलते परिवेश का चित्र पाठकों के सामने प्रस्तुत करना हैl