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महिमा बरसात की

अनिल कसेर ‘उजाला’ 
राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)
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अब तो हो जाने दो बरसात,

तपन से धरा हो गई है त्रास।

बुझ रही थी नहीं सभी की प्यास,

बरसात होने से पूरी हुई आस।

पानी के लिए मचा था हाहाकार,

बरसात होने से आया करार।

ह्रदय में धरती के पड़ रही थी दरार,

बरसात के आने से आ गई है बहार।

वन और उपवन जल रहे थे ताप से,

बुझ गये जलन सब बरसात से।

डर रहे थे सभी रवि के ताव से,

डर खुशियों में परिवर्तित हुआ बरसात से।

महिमा बरसात की क्या क्या बतलाऊं जी,
जब भी आये बरसात,मैं बलिहारी जाऊं जी॥

परिचय –अनिल कसेर का निवास छतीसगढ़ के जिला-राजनांदगांव में है। आपका साहित्यिक उपनाम-उजाला है। १० सितम्बर १९७३ को डोंगरगांव (राजनांदगांव)में जन्मे श्री कसेर को हिन्दी,अंग्रेजी और उर्दू भाषा आती है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी)तथा पीजीडीसीए है। कार्यक्षेत्र-स्वयं का व्यवसाय है। इनकी लेखन विधा-कविता,लघुकथा,गीत और ग़ज़ल है। कुछ रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-सच्चाई को उजागर करके कठिनाइयों से लड़ना और हिम्मत देने की कोशिश है। प्रेरणापुंज-देशप्रेम व परिवार है। सबके लिए संदेश-जो भी लिखें,सच्चाई लिखें। श्री कसेर की विशेषज्ञता-बोलचाल की भाषा व सरल हिन्दी में लिखना है।