वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी
कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)
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नून-रोटी रोज़ खाते रह गये।
पर कलम यूँ ही चलाते रह गये।
इससे अच्छा हम चलाते फावड़ा,
गीत ग़ज़लें ही बनाते रह गये।
तालियों से भूख मिटती है नहीं,
मुफ़्त में कविता सुनाते रह गये।
सो गये बच्चे बिना खाये मगर,
काफ़िया हम तो मिलाते रह गये।
चिटकुलों का है ज़माना दोस्तों,
ज्ञान की गंगा बहाते रह गये।
जिंदगी ‘आकाश’ अक्सर पूछती,
क्यूँ बता लिखते व गाते रह गये॥
परिचय-वकील कुशवाहा का साहित्यिक उपनाम आकाश महेशपुरी है। इनकी जन्म तारीख २० अप्रैल १९८० एवं जन्म स्थान ग्राम महेशपुर,कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)है। वर्तमान में भी कुशीनगर में ही हैं,और स्थाई पता यही है। स्नातक तक शिक्षित श्री कुशवाहा क़ा कार्यक्षेत्र-शिक्षण(शिक्षक)है। आप सामाजिक गतिविधि में कवि सम्मेलन के माध्यम से सामाजिक बुराईयों पर प्रहार करते हैं। आपकी लेखन विधा-काव्य सहित सभी विधाएं है। किताब-‘सब रोटी का खेल’ आ चुकी है। साथ ही विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आपको गीतिका श्री (सुलतानपुर),साहित्य रत्न(कुशीनगर) शिल्प शिरोमणी सम्मान(गाजीपुर)प्राप्त हुआ है। विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी से काव्यपाठ करना है। आकाश महेशपुरी की लेखनी का उद्देश्य-रुचि है।