राज कुमार चंद्रा ‘राज’
जान्जगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ मनाना महत्वपूर्ण नहीं है,बल्कि राष्ट्रीय एकता स्थापित करने में अपना योगदान देना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय एकता इस बात पर निर्भर करती है कि हमारी सोच और समझ देश के प्रति सकारात्मक हो। हम अपनी देश के प्रति भूमिका जवाबदारी और जिम्मेदारी से निभाएं।
हम उन विचारों को छोड़ें,जो हम भारतीयों के अंदर संकीर्णता पैदा करे,एक-दूसरे के प्रति वैमनस्य की भावना को बढ़ावा दे। हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र वाले देश में रहते हैं,जहाँ विविध परम्परा विविध भाषा विविध संस्कृति,सैकड़ों जाति,दर्जनों धर्म है,पर इन सबमें खास बात यह है कि,यहां हर धर्म का आदर है। हर धार्मिक उत्सव को हम भारतीय आपस में प्रेम के साथ सब मिल-जुल कर मनाते हैं,यही सोच और भाव हमें एकता के सूत्र में बांधती है।
भारतीय संस्कृति हमारे भारत में भावनात्मक एकता का आधार है,पर कई बार राजनीतिक स्वार्थ,भाषा मोह जातिवाद और क्षेत्रवाद की सर्वश्रेष्ठ बताने के चक्कर में हमारे भावनात्मक आधार को खतरा भी हो जाता है।
परिणामस्वरूप कुछ अदूरदर्शी,धर्मान्ध लोग गुमराह होकर अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए देश के एकता और अखंडता के लिए असामाजिक तत्व बन जाते हैं।
केन्द्र और राज्य की सरकार वर्तमान में देश में एकता स्थापित करने के उद्देश्य से मीडिया के सहयोग से कई उपयोगी कार्यक्रम चला रही है,पर यह तभी सफल होगी जब हम इसे समझें और अपनी भूमिका एकता स्थापित करने के लिए सुनिश्चित करें।
परिचय-राज कुमार चंद्रा का साहित्यिक नाम ‘राज’ है। १ जुलाई १९८४ को गाँव काशीगढ़( जिला जांजगीर ) में जन्में हैं। आपका स्थाई पता-ग्राम और पोस्ट जैजैपुर,जिला जान्जगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अंग्रेजी और छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चंद्रा की शिक्षा-एम.ए.(राजनीति शास्त्र) और डिप्लोमा(इन विद्युत एवं कम्प्यूटर)है। कार्यक्षेत्र- लेखन,व्यवसाय और कृषि है। सामाजिक गतिविधि में सामाजिक कार्य में सक्रिय तथा रक्तदाता संस्था में संरक्षक हैं। राजनीति में रुचि रखने वाले राज कुमार चंद्रा की लेखन विधा-आलेख हैं। कई समाचार पत्रों में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-जनजागरुकता है। आपके पसंदीदा लेखक-मुंशी प्रेमचंद और प्रेरणापुंज-स्वामी विवेकानंद तथा अटल जी हैं। देश और हिन्दी भाषा के प्रति विचार-“भारत महान देश है। यहाँ की संस्कृति और परम्परा महान है,जो लोगों को अपनी ओर खींचती है। हिन्दी भाषा सबसे श्रेष्ठ है,ये जितनी उन्नति करेगी,देश उतना ही उन्नति करेगा।