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प्रेम-अपेक्षा भी नहीं,उपेक्षा भी नहीं

गोलू सिंह
रोहतास(बिहार)
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प्रिय तेरी अनुपस्थिति में,
मन व्याकुल स्थिति में
खोया रंगीन हस्ती में,
बैठा यादों की कश्ती में
मंद-मंद पवन की उपस्थिति में,
खुशियों की बस्ती में
मन मोहित मेरा मेरी प्रकृति में,
तन भी रीझ दिया तेरी सुंदर आकृति में।

मैं बाट ढूंढता तुम तक आने को
भरा प्रेम मस्ती में,
मैं प्रेमी मन की नहीं कहता
ना हो संताप तुम्हें सृष्टि में।

प्रेम की यही परिभाषा-
प्रेम से प्रेमी कोष भर,
फिर भी दिखे एक दूजे की दृष्टि में
प्रेम भी,अपेक्षा भी नहीं,
उपेक्षा भी नहीं
ज्ञात है मिल जाना है मिट्टी में।

तन दूर है मन पास है,
संभव है प्रेम की खेती में।

प्रेम अर्थात संभोग नहीं,
अंत विवाह नहीं
जीवन की मस्ती में।

प्रेम एक अनुभव-
दूर को पास पाने का,
एक पथ प्रभु के पास जाने का
एक पागलपन प्रिय में रम जाने का,
एक कहानी मानव की मटरगश्ती में।

प्रेम सस्ता है,
चूंकि,बदनाम हो गया है
अपनी ही हस्ती में॥

परिचय-गोलू सिंह का जन्म १६ जनवरी १९९९ को मेदनीपुर में हुआ है। इनका उपनाम-गोलू एनजीथ्री है।lनिवास मेदनीपुर,जिला-रोहतास(बिहार) में है। यह हिंदी भाषा जानते हैं। बिहार निवासी श्री सिंह वर्तमान में कला विषय से स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। इनकी लेखन विधा-कविता ही है। लेखनी का मकसद समाज-देश में परिवर्तन लाना है। इनके पसंदीदा कवि-रामधारी सिंह `दिनकर` और प्रेरणा पुंज स्वामी विवेकानंद जी हैं।