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कायदा तो है नहीं

राजेश पड़िहार
प्रतापगढ़(राजस्थान)
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बढ़ रहे हैं भाव लेकिन फायदा तो है नहीं।
भेड़ की हम चाल चलते कायदा तो है नहीं।

बस गिरे औ उठ रहे हैं आज शेयर देख लो,
अब रहा बाज़ार में वह वायदा तो है नहीं।

लेप कर सौन्दर्य साधन सज रही हैं यौवना,
मान को जो मान देती वह अदा तो है नहीं।

माल से मिल माल पैदा कर रहे नेता सभी,
गिर गया नेता का शायद ओहदा तो है नहीं।

रह रहे हिन्दू मुसलमां एक-दूजे से परे,
जानकर भी मान लेता अलहदा तो हैं नहीं।

पोलीथिन से भर गयी सारी धरा अब देख लो,
मारती पशु जात को वह संपदा तो है नहीं॥

परिचय-राजेश कुमार पड़िहार की जन्म तारीख १२ मार्च १९८४ और जन्म स्थान-कुलथाना है। इनका बसेरा कुलथाना(जिला प्रतापगढ़), राजस्थान में है। कुलथाना वासी श्री पड़िहार ने स्नातक (कला वर्ग) की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में स्वयं का व्यवसाय (केश कर्तनालय)है। लेखन विधा-छंद और ग़ज़ल है। एक काव्य संग्रह में रचना प्रकाशित हुई है। उपलब्धि के तौर पर स्वच्छ भारत अभियान में उल्लेखनीय योगदान हेतु जिला स्तर पर जिलाधीश द्वारा तीन बार पुरस्कृत किए जा चुके हैं। आपको शब्द साधना काव्य अलंकरण मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी के प्रति प्रेम है।

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