पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़)
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बात बहुत जरा होती है,
छुपती उभरती रहती है
मैंने तुमको अपना माना,
देखो मेरा दिल ना दुखानाl
अभी नया है प्यार हमारा,
नई-नई पहचान है
सूरज की किरणों जैसी,
खिली-खिली मुस्कान है
फिर मुझको ना आजमानाl
देखो मेरा दिल…
मैंने अपनी जीवन रेखा,
तुम्हारे संग में जोड़ ली
है तुम्हारी बातों पे भरोसा,
चढ़ते-ढलते हैं हालात
यूँ बातें तुम ना बनानाl
देखो मेरा दिल…
मन मेरा चंचल बहुत है,
धड़कन में हलचल बहुत है
शाम की चादर ढलती है,
तेरी यादें मुझको खलती है
ऐसे मुझको ना तड़पानाl
देखो मेरा दिल ना…
देखो मेरा दिल ना…ll
परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।