एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)
***********************************************************
गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष………
माँ भारती की जय,वन्देमातरम् जय-जय हिन्दुस्तान कहूँगा,
जन गण मंगल दयाक जय है
स्वतंत्रता का शुभ मंगल गणतंत्र राष्ट्र आन मान सम्मान कहूँगा,
अरमानों के आसमान में फहराते-लहराते तिरंगे का अवनि आकाश कहूँगा।
स्वतंत्रता का शुभ मंगल गणतंत्र राष्ट्र आन-मान-सम्मान कहूँगा।
भारत की आजादी की बात कहूँगा,
तिरंगे आजादी के जंगों का जज्बा औ जज़्बात कहूँगा
स्वतंत्रता का शुभ मंगल गणतंत्र राष्ट्र आन-मान-सम्मान कहूँगा।
अमर शहीदों का त्याग और बलिदान कहूँगा,
आजाद हिन्द की सेना के लहू का हिसाब कहूँगा
खून और आजादी के रिश्तों की नेता की आवाज़ कहूँगा,
स्वतंत्रता का शुभ मंगल गणतंत्र राष्ट्र आन मान सम्मान कहूँगा।
तात्या और लक्ष्मीबाई का आजादी का संग्राम कहूँगा,
क्रूरता की लाठी टूटी,इरादों का फौलाद ना टूटा
भारत की माटी का लाल लाला लाज़पत राय कहूँगा,
स्वतंत्रता का शुभ मंगल गणतंत्र राष्ट्र आन-मान-सम्मान कहूँगा।
काकोरी और चौरी-चौरा आजादी के दीवाने परवानों की सिंह दहाड़ कहूँगा,
आज़ाद,भगत,बिस्मिल की सरफरोशी की तमन्ना जवां जोश आजादी के अंगार कहूँगा
स्वतंत्रता का शुभ मंगल गणतंत्र राष्ट्र आन-मान-सम्मान कहूँगा।
अत्याचार,अन्याय,दमन का दम्भ तोड़ता बापू की सत्य अहिंसा सिद्धांत कहूँगा,
राजगुरु,बटुकेश्वर,सुखदेव,अशफाक के हँसते-हँसते आज़ादी पर मिट जाने को भारत का ओज तेज नौजवान कहूँगा
स्वतंत्रता का शुभ मंगल गणतंत्र राष्ट्र आन मान सम्मान कहूँगा।
दुष्ट दंश की हद डायर की हरकत गोली बौछारों से खून की होली का जलियावाला बाग़ कहूँगा,
बिखरे भारत की अखण्डता का अक्क्षुण अध्याय लौह पुरुष वल्लभ सरदार कहूँगा
स्वतंत्रता का शुभ मंगल गणतंत्र राष्ट्र आन-मान-सम्मान कहूँगा।
राजेन्द्र,विवेका,चितरंजन दास ज्योति जवाहर लाल कहूँगा,
आजादी का ख़्वाब सजाये जाने कितने हिन्दुस्तानी ने जान गंवाई,काला पानी निकोबार कहूँगा
स्वतंत्रता का शुभ मंगल गणतंत्र राष्ट्र आन-मान-सम्मान कहूँगा।
जगदम्ब शिवा का शौर्य,मराठा की शान कहूँगा,
राणा सांगा की ज्वाला का जंग पन्ना की कुर्बानी मेवाड़ मुकुट कहूँगा
स्वतंत्रता का शुभ मंगल गणतंत्र राष्ट्र आन-मान-सम्मान कहूँगा।
चन्द्रगुप्त,चाणक्य,पद्मवती का जौहर भारत के वीर सपूतों की गौरव गाथा वर्तमान इतिहास कहूँगा,
आजादी की चिंगारी बागी बलिया का मंगल पाण्डेय को आजादी का काल कराल विकराल कहूँगा।
स्वतंत्रता का शुभ मंगल गणतंत्र राष्ट्र आन-मान-सम्मान कहूँगा॥
परिचय–एन.एल.एम. त्रिपाठी का पूरा नाम नंदलाल मणी त्रिपाठी एवं साहित्यिक उपनाम पीताम्बर है। इनकी जन्मतिथि १० जनवरी १९६२ एवं जन्म स्थान-गोरखपुर है। आपका वर्तमान और स्थाई निवास गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) में ही है। हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री त्रिपाठी की पूर्ण शिक्षा-परास्नातक हैl कार्यक्षेत्र-प्राचार्य(सरकारी बीमा प्रशिक्षण संस्थान) है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त युवा संवर्धन,बेटी बचाओ आंदोलन,महिला सशक्तिकरण विकलांग और अक्षम लोगों के लिए प्रभावी परिणाम परक सहयोग करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,नाटक,उपन्यास और कहानी है। प्रकाशन में आपके खाते में-अधूरा इंसान (उपन्यास),उड़ान का पक्षी,रिश्ते जीवन के(काव्य संग्रह)है तो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-भारतीय धर्म दर्शन अध्ययन है। लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-पूज्य माता-पिता,दादा और पूज्य डॉ. हरिवंशराय बच्चन हैं। विशेषज्ञता-सभी विषयों में स्नातकोत्तर तक शिक्षा दे सकने की क्षमता है।