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छवि है उनकी न्यारी

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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कितनी सुंदर कितनी भोली
छवि है उनकी न्यारी।
मनमोहन घनश्याम कृष्ण की
सूरत लगती प्यारी॥

मुरली की धुन सुनो श्याम की
कानों में रस घोले।
राधा के संग रास रचाय
केवल नयना बोले॥

राधाकृष्ण की छवि मनोहर
देख सभी हरषाए।
रोम रोम हैं हर्षित सबके
श्याम देख मुस्काए॥

पावन छवि का वरण करें हम
हिय में अति सुख पाएं।
शुभकर्मों को करें सभी हम
शुभ चरित्र महकाएं॥

सुन मुरली की तान राधिका
दौड़ी-दौड़ी आए।
हुई बावरी श्याम प्रेम में
नाचे और नचाए॥

कृष्ण राधिका प्रेम अलौकिक
इक आदर्श बनाए।
छवि दोनों की बड़ी निराली
सबको लेय रिझाए॥

है युगल छवि राधा व मोहन
रूप सभी को प्यारा।
ग्वाल बाल संग गाय चराय
खुश है गोकुल सारा॥

श्यामसुंदर हैं तारणहार
भव से पार उतारे।
करता है जो भक्ति कृष्ण की
उसके काज सँवारे॥

देवक़ीसुत माधव गोपाल
हे केशव गिरिधारी।
मधुसूदन नंदलाला विष्णु
कृपा करोे बनवारी॥

कृपा करो हे कृष्णमुरारी
श्याम छवि मैं बसाऊँ।
दूर होय सब अवगुण मेरे
भक्ति तुम्हारी पाऊँ॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’